आइआइटी लायक शिक्षक तैयार करने में लग सकता है वक्त, अध्यापन के क्षेत्र में आने से कतराते हैं मेधावी छात्र, जानें वजह
पिछले कई वर्षों में आईआईटी के छात्रों में शिक्षण के क्षेत्र में जाने की रुचि कम हुई है। आलम यह है कि सभी आइआइटी में शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए लगातार विज्ञापन जारी करने के बाद भी इनके पद खाली बने हुए हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। यह सवाल बहुत बड़ा है कि आखिर आइआइटी जैसे संस्थानों में भी शिक्षकों की कमी क्यों है लेकिन सच्चाई यह भी है कि पिछले कई वर्षों में छात्रों में शिक्षण के क्षेत्र में जाने की रुचि कम हुई है। आइआइटी शिक्षकों की भर्ती के लिए मानकों से समझौता करना नहीं चाहता है। यही वजह है कि सभी आइआइटी में शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए लगातार विज्ञापन जारी करने के बाद भी इनके पद खाली बने हुए हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) फिलहाल इसका समाधान खोजने में जुटा है।
छात्रों को आकर्षित करने की योजनाएं
इसके तहत मेधावी छात्रों को पीएचडी कार्यक्रमों की ओर आकर्षित करने की योजनाएं शुरू की हैं। हाल ही में केंद्र सरकार ने इस मुहिम को आगे बढ़ाते हुए पीएम रिसर्च फेलोशिप नाम की एक योजना शुरू की है। माना जा रहा है कि इससे रिसर्च की गुणवत्ता में सुधार होने के साथ ही आइआइटी जैसे सभी उच्च शिक्षण संस्थानों की फैकेल्टी की कमी भी दूर होगी। आइआइटी कानपुर के प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी की मानें तो 'आइआइटी जैसे संस्थानों की साख को बरकरार रखने के लिए जरूरी है कि जो भी फैकेल्टी नियुक्त हो वह मानकों के तहत हो।
बड़ी संख्या में रिक्त हैं पद
आइआइटी सहित देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के बड़ी संख्या में रिक्त पदों के पीछे वह बड़ा कारण डिमांड और सप्लाई का गैप मानते है। उनका कहना है कि हम नए संस्थान खोलते तो जा रहे हैं, लेकिन अच्छी फैकेल्टी कहां से आएगी इस ओर से अभी तक किसी ने ध्यान दिया। अब नए सिरे से कोशिशें शुरू हुई हैं और जल्द ही इसका नतीजा दिखेगा।
शिक्षकों के 3,700 पद खाली
गौरतलब है कि मौजूदा समय में देश में कुल 23 आइआइटी हैं। इन सभी में मौजूदा समय में शिक्षकों के लगभग 3,700 पद खाली हैं। इसके साथ ही केंद्रीय विश्वविद्यालयों में भी शिक्षकों के करीब 6.300 पद रिक्त हैं। इन सभी पदों को भी भरने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने एक नई मुहिम शुरू कर रखी है।
आइआइटी में शिक्षकों के चयन के मानक
आइआइटी में शिक्षक बनने के लिए जो न्यूनतम मानक तय हैं, उनमें आवेदक की पूरी शैक्षणिक योग्यता प्रथम श्रेणी की होनी चाहिए। यानी दसवीं, बारहवीं, बीएससी, एमएससी आदि। यदि इंजीनिय¨रग क्षेत्र से है, तो बीटेक, एमटेक भी प्रथम श्रेणी में होना चाहिए। इसके साथ पीएचडी होना अनिवार्य है, यदि यह किसी विदेशी संस्थान से की गई है, तो ज्यादा प्राथमिकता मिलती है। इसके अलावा पढ़ाने की कला भी उसे आनी चाहिए। उसके शोध पत्र भी इंटरनेशनल जनरल में प्रकाशित होने चाहिए।
विश्वस्तरीय बनने के लिए शिक्षकों का सख्त चयन भी जरूरी
आइआइटी से जुड़े एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए जरूरी है कि हम दुनिया के शीर्ष संस्थानों में शिक्षकों के चयन के मानकों को भी अपनाए। उन्होंने बताया कि अभी हावर्ड विश्वविद्यालय में शिक्षकों के चयन के जो मानक हैं, उनमें तय मानकों के आधार पर शिक्षकों का चयन तो होता है, लेकिन उनके प्रदर्शन पर अगले तीन से चार सालों तक नजर रखी जाती है। यदि उनका प्रदर्शन बेहतर पाया जाता है। यानी वह शोध और रिसर्च पेपर के साथ छात्रों को नए विषयों से कनेक्ट करने में सफल होते हैं, तभी उन्हें नियमित नियुक्ति दी जाती है।