Positive India : अब समय रहते हो सकेगा दिमागी बीमारियों का उपचार

आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने ऐसी तकनीक का अविष्कार किया है जिसके द्वारा दिमागी बीमारियों का समय रहते इलाज किया जा सकेगा। यही नहीं इसके द्वारा इसकी पहचान समय रहते भी हो सकेगी। इस तकनीक के द्वारा नसों के कार्य और मस्तिष्क के रक्त संचार का आकलन किया जा सकेगा।

By Vineet SharanEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 09:18 AM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 09:19 AM (IST)
Positive India : अब समय रहते हो सकेगा दिमागी बीमारियों का उपचार
सर्वे के अनुसार भारत में करीब 30 मिलियन लोग न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से पीड़ित है।

नई दिल्ली, जेएनएन। दिमागी बीमारियों के इलाज में सबसे प्रमुख बात होती है समय से उपचार होना। अकसर इसी वजह से कई मामले बिगड़ जाते हैं। परंतु आने वाले समय में ऐसा नहीं होगा। आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने ऐसी तकनीक का अविष्कार किया है जिसके द्वारा दिमागी बीमारियों का समय रहते इलाज किया जा सकेगा। यही नहीं इसके द्वारा इसकी पहचान समय रहते भी हो सकेगी। इस तकनीक के द्वारा नसों के कार्य और मस्तिष्क के रक्त संचार का एक साथ आकलन किया जा सकेगा। इस नई खोज से दिमाग में हुई क्षति और न्यूरो बीमारियों के इलाज में मदद मिल सकती है।

आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं का कहना है कि नर्व्स की कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) और रक्त वाहिकाओं (वॉस्कुलर) जिसे न्यूरोवॉस्कुलर कपलिंग (एनवीसी) कहा जाता है, उनके बीच परस्पर प्रतिक्रियाएं होती हैं। इससे मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह नियंत्रित होता है। इस्केमिक स्ट्रोक जैसी बीमारियों का एनवीसी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। एनवीसी का समय से पता लगने से ऐसी बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार होता है। सर्वे के अनुसार भारत में करीब 30 मिलियन लोग न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से पीड़ित है। इनमें मिर्गी, स्ट्रोक, पार्किंसंस डिजीज, मस्तिष्क आघात और तंत्रिका संक्रमण शामिल है।

इस शोध को आईआईटी मंडी के कंप्यूटिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. शुभजीत रॉय चौधरी के नेतृत्व में किया गया है। शोध के परिणाम आईईईई जनरल ऑफ ट्रांसलेशन इंजीनियरिंग इन हेल्थ एंड मेडिसिन में प्रकाशित में किया गया है। इसे हाल में अमेरिका का पेटेंट मिल गया है।

डॉ. चौधरी ने बताया कि हमारी विधि में मल्टी मॉडल ब्रेन स्टिमुलेशन सिस्टम का उपयोग किया गया है ताकि न्यूरोवास्कुलर यूनिट (एनवीयू) के विभिन्न कंपोनेंट को अलग-अलग स्टिमुलेट करना है। सीधे और सरल शब्दों में कहें तो इलेक्ट्रोड के जरिए मस्तिष्क में गैरहानिकारक विद्युत प्रवाह किया जाता है और नर्व्स की प्रतिक्रिया और रक्त प्रवाह के संदर्भ में मस्तिष्क की प्रतिक्रियाओं को एक साथ इलेक्ट्रोएन्सेफ्लोग्राफी (ईईजी) और नियर इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी (एनआईआरएस) की मदद से मापा जाता है। हालांकि ईईजी और एनआईआरएस का पहले से ही अलग-अलग उपयोग हो रहा है लेकिन आईआईटी मंडी के इनोवेटर्स ने विकसित प्रोटोटाइप को जोड़ दिया है। इससे एनवीसी की बेहतर तस्वीर मिल सकेगी। इससे प्राप्त आंकड़ों को गणितीय मॉडल में डालकर एनवीसी की समस्याओं का पता लगाना आसान होता है। इससे न्यरोलॉजिकल समस्याओं का स्पष्ट संकेत मिलता है।

डॉ. चौधरी का कहना है कि नर्व्स के कार्य और मस्तिष्क के रक्त संचार का एक साथ आकलन करने से स्ट्रोक और उच्च रक्तचाप के मामलों में तुरंत उपचार में उपयोगी होगी। यह डिवाइस पार्किंसंस जैसी बीमारियों के बढ़ने की गति समझने में भी मदद करेगा और वस्तुत: लक्षण प्रकट होने से पहले इन बीमारियों के पूर्वानुमान में भी मदद मिल सकती है।

ये हो सकते हैं लाभ

-नसों के कार्य और मस्तिष्क के रक्त संचार का एक साथ आकलन करने से स्ट्रोक और उच्च रक्तचाप के मामलों में तुरंत उपचार का निर्णय लेना आसान होगा।

-यह डिवाइस पार्किंसंस जैसी बीमारियों के बढ़ने की गति समझने में भी मदद करेगा और लक्षण प्रकट होने से पहले इन बीमारियों के होने का पूर्वानुमान भी दे सकता है। 

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