ज्यादा मीठा खाने से होता है फैटी लिवर : आईआईटी मंडी

एनएएफएलडी एक ऐसी मेडिकल स्थिति है जिसमें लिवर में अतिरिक्त वसा जमा होता है। इस रोग के लक्षण करीब 2 दशक तक भी नजर नहीं आते हैं। यदि इस रोग का समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो अतिरिक्त फैट लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है।

By Vineet SharanEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 08:48 AM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 08:49 AM (IST)
ज्यादा मीठा खाने से होता है फैटी लिवर : आईआईटी मंडी
मीठे और लिवर में फैट के जमा होने के बीच संबंध का खुलासा होने से उपचार में मदद मिलेगी।

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। अधिक मीठा खाने से फैटी लिवर की दिक्कत होती है। आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं के एक दल ने इस बात का पता लगाया है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस बात की पुष्टि होने से लोगों को लीवर संबंधी गैर एल्कोहलिक (एनएएफएलडी) के शुरुआती चरणों में शर्करा की मात्रा घटाने के लिए जागरूक करने में मदद मिलेगी। यह अध्ययन जर्नल ऑफ बायोकेमिस्ट्री में प्रकाशित हुआ है।

एनएएफएलडी, एक ऐसी मेडिकल स्थिति है जिसमें लिवर में अतिरिक्त वसा जमा होता है। इस रोग के लक्षण करीब 2 दशक तक भी नजर नहीं आते हैं। यदि इस रोग का समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो अतिरिक्त फैट लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। यह रोग बढ़ने पर लिवर कैंसर का रूप भी धारण कर सकता है।

आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज के एसोसिएट प्रोफेसर प्रसेनजीत मंडल ने बताया कि एनएएफएलडी का एक कारण मीठे का अधिक मात्रा में उपभोग है। मीठा और कार्बोहाइड्रेड के अधिक मात्रा में उपभोग के चलते लिवर उन्हें एक प्रक्रिया के जरिए फैट में तब्दील कर देता है, इससे फैट लिवर में जमा होने लग जाता है।

मंडल ने बताया कि भारत में एनएएफएलडी आबादी के करीब 9 से 32 प्रतिशत हिस्से में पाया जाता है। अध्ययन दल ने दावा किया है कि मीठे और लिवर में फैट के जमा होने के बीच संबंध का खुलासा होने से इस रोग का उपचार इजाद करने में मदद मिलेगी। अध्ययन दल में जामिया हमदर्द इंस्टीट्यूट और एसजीपीजीआई, लखनऊ के शोधार्थी भी शामिल थे।

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