नहीं चेते हो जाएंगे बधिर, सात शहरों के 70 स्टेशनों की रिपोर्ट से हुआ खुलासा

एक रिपोर्ट के मुताबिक जिस तरह से ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है वह खतरनाक है क्योंकि सौ डेसीबल में एक घंटा तक रहने पर ही कोई भी व्यक्ति बधिर हो सकता है। वैसे भी ज्यादातर बड़े शहरों में ध्वनि प्रदूषण का स्तर पर 75 से 80 तक पहुंचने लगा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 08:38 PM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 10:31 PM (IST)
नहीं चेते हो जाएंगे बधिर, सात शहरों के 70 स्टेशनों की रिपोर्ट से हुआ खुलासा
शहरों में ध्‍वनि प्रदूषण की फाइल फोटो।

नई दिल्ली, अरविंद पांडेय। वायु प्रदूषण एक तरफ जहां जहर बनकर जिंदगी छोटी कर रहा है, वहीं जिस ध्वनि प्रदूषण को हम सामान्यतया नजरअंदाज कर रहे हैं वह हमें बधिर बना सकता है। ध्वनि प्रदूषण पर रोकथाम को लेकर निष्क्रि‍यता का अंदाजा देश के सात शहरों में ध्वनि प्रदूषण के स्तर का मापने के लिए लगाए गए 70 स्टेशनों की रिपोर्ट से लगाया जा सकता है। हर क्षेत्र अपने तय मानक से लगातारा 15-20 डेसीबल ज्यादा ध्वनि प्रदूषण से ग्रसित है। 

ध्वनि प्रदूषण के तय मानकों पर खरे नहीं उतर पा रहे राज्य

चिंता की बात तो यह है कि सामान्यतया हर व्यक्ति चौबीसो घंटे आम बातचीत वाले शोर को ही शांति माने बैठा है। केंद्र की ओर से 16 आवासीय क्षेत्रों में, वाणिज्यिक क्षेत्र में 25, औद्योगिक क्षेत्र में 12 और शांत क्षेत्र यानी अस्पताल आदि के आसपास 17 स्टेशन स्थापित किए गए थे। इनमें से कुछ चुनिंदा स्टेशनों को छोड़ दें, तो ज्यादातर स्टेशनों पर ध्वनि प्रदूषण के तय मानकों का कोई पालन नहीं किया जा रहा है। हर जगह ध्वनि प्रदूषण का स्तर करीब 15 से 20 डेलीबल तक बढ़ा हुआ है। चौंकाने वाली बात यह है कि रात में यह स्थिति और भी ज्यादा भयावह होती है। यह स्थिति पिछले तीन सालों से लगातार बनी हुई है। 

बड़े शहरों में ध्वनि प्रदूषण का स्तर पर 75 से 80 डेसीबल तक पहुंचा

इस बीच पर्यावरण मंत्रालय ने राज्यों से ध्वनि प्रदूषण पर रोकथाम के लिए राज्यों से कार्य योजना भी मांगी है। जिसे दर्जन भर से ज्यादा राज्यों ने तैयार भी कर ली है, लेकिन जमीन पर कहीं भी काम होते नहीं दिख रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिस तरह से ध्वनि प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, वह खतरनाक है, क्योंकि सौ डेसीबल में एक घंटा तक रहने पर ही कोई भी व्यक्ति बधिर हो सकता है। वैसे भी ज्यादातर बड़े शहरों में ध्वनि प्रदूषण का स्तर पर 75 से 80 तक पहुंचने लगा है। ध्यान रहे कि 80 डेसीबल पर अलार्म क्लाक आवाज करता है। जबकि ब्लेंडर, हेयर ड्रायर आदि की आवाज 90 डेसीबल तक होती है। सामान्य बातचीत या डिशवाशर की आवाज 60 डेसीबल होती है जो सामान्यतया हर शहर में हर जगह मौजूद होता है। 

इन सात शहरों में लगे है 70 स्टेशन

दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, बैंगलुरू, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद। इनमें से सभी शहरों में दस स्टेशन लगाए गए है। जिनका हर दिन का डाटा जुटाया जाता है। साथ ही उन पर नजर रखी जाती है। इसी तर्ज पर दूसरे महानगरों में भी ध्वनि प्रदूषण के स्तर को जांचने के लिए स्टेशन खोलने का प्रस्ताव है। 

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