कोरोना से मुकाबला करने वाले जीन की हुई पहचान, पढ़ें- शोध में सामने आई बड़ी बात
इस अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता अगले चरण में कोरोना वैरिएंट के बायोलॉजी पर गौर करेंगे। मालूम हो कोरोना के नए वैरिएंट ज्यादा संक्रामक हो रहे हैं और इसके चलते वैक्सीन के असर को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। भारतीय मूल के एक विज्ञानी के नेतृत्व वाले अमेरिकी शोधकर्ताओं के दल को कोरोना वायरस (कोविड-19) से मुकाबले की दिशा में बड़ी कामयाबी मिली है। उन्होंने मानव जीन के एक ऐसे समूह की पहचान की है, जो कोरोना का कारण बनने वाले सार्स-कोव-2 वायरस से मुकाबला करने में सक्षम बताया जा रहा है। इस अध्ययन से न सिर्फ उन कारकों को समझने में मदद मिल सकती है, जो बीमारी की गंभीरता को प्रभावित करते हैं बल्कि उपचार के नए विकल्पों के विकास की राह भी खुल सकती है।
अमेरिका के सैनफोर्ड बर्नहेम प्रीबिस मेडिकल डिस्कवरी इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं की ओर से किए गए इस अध्ययन को मॉलीक्यूलर सेल पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर और इम्यूनिटी एंड पैथोजेनेसिस प्रोग्राम के निदेशक सुमित के चंदा ने कहा, 'हम सार्स-कोव-2 के प्रति सेलुलर रिस्पांस को अच्छी तरह समझना चाहते थे। इसी कवायद में हमें इस बारे में भी नई जानकारी मिली कि यह वायरस किस तरह मानव कोशिकाओं पर धावा बोलता है।'
चंदा और उनकी टीम ने ऐसे इंटरफेरॉन-स्टिम्युलेटेड जीन (आइएसजी) की पहचान की, जो कोरोना संक्रमण को सीमित करने का काम करता है। चंदा ने कहा, 'हमने पाया कि 65 आइएसजी सार्स-कोव-2 संक्रमण को नियंत्रित करते हैं। इनमें से कुछ तो वायरस को रोकने तक की क्षमता रखते हैं।' इस अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता अगले चरण में कोरोना वैरिएंट के बायोलॉजी पर गौर करेंगे। मालूम हो कोरोना के नए वैरिएंट ज्यादा संक्रामक हो रहे हैं और इसके चलते वैक्सीन के असर को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।