75th Infantry Day: 1947 के युद्ध में 'परशुराम' ने निभाई थी अहम भूमिका, IAF ने किया ट्वीट

1947 में आजादी के बाद पहली बार भारत और पाकिस्‍तान के बीच युद्ध हुआ था। इस दौरान भारतीय वायु सेना की मदद से पहली सिख रेजीमेंट के जवानों को श्रीनगर भेजा गया था। भारतीय वायु सेना ने उस दिन को याद करते हुए इसकी एक फोटो को ट्वीट किया है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 01:50 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 01:56 PM (IST)
75th Infantry Day: 1947 के युद्ध में 'परशुराम' ने निभाई थी अहम भूमिका, IAF ने किया ट्वीट
भारतीय वायु सेना ने ट्वीट कर परशुराम को किया याद

नई दिल्‍ली (एएनआई)। 75वें इंफ्रेंट्री डे के मौके पर भारतीय वायु सेना ने अपने गौरवशाली इतिहास को याद करते हुए एक ट्वीट किया है। इसके जरिए आईएएफ ने उस दिन को याद किया है जब 1947 में जम्‍मू कश्‍मीर में पाकिस्‍तान की तरफ से हुए हमले के बाद वहां पर भारतीय सेना को विमान से भेजा गया था इस भारतीय सेना की पहली सिख रेजीमेंट को श्रीनगर भेजा गया था। इस रेजीमेंट को रायल इंडियन एयर फोर्स के विमान परशुराम के जरिए वहां पर भेजा गया था। ये डकोटा विमान था जो एयरफोर्स की 12वीं स्‍क्‍वार्डन का हिस्‍सा था। 27 अक्‍टूबर 1947 को ये विमान जवानों को लेकर श्रीनगर पहुंचा था।

आईएएफ ने अपने इस विमान के साथ श्रीनगर पहुंचे जवानों की तस्‍वीर ट्वीट की है। इस दौरान जवानों को एयर ड्राप भी किया गया था। बाद में एक डकोटा विमान वीपी 905 को बाद में एयरफोर्स को गिफ्ट के तौर पर दिया गया था। परशुराम आज वायुसेना का हैरिटेज विमान है। आपको बता दें कि इससे पहले चीफ आफ डिफेंस स्‍टाफ जनरल बिपिन रावत और सेनाध्‍यक्ष जनरल एमएम नरवाणे ने नेशनल वार मैमोरियल पर जाकर शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए थे।

बता दें कि आजाद भारत में भारतीय सेना के पहले सफल अभियान के रूप में इंफ्रेंट्री डे हर वर्ष मनाया जाता है। 27 अक्‍टूबर 1947 को ही भारतीय सेना ने पाकिस्‍तान को कश्‍मीर घाटी में जवाब देने की शुरुआत की थी। पाकिस्‍तान के साथ हुई इस जंग में भारतीय वायु सेना ने थल सेना को एयर सपोर्ट दिया था। इस जीत में भारतीय वायु सेना की भूमिका काफी अहम रही थी।

गौरतलब है कि 1947 में पाकिस्‍तान ने कश्‍मीर को हथियाने के मकसद से कबायली और अपनी सेना के साथ मिलकर जम्‍मू कश्‍मीर पर हमला बोल दिया था। तब महाराज हरी सिंह की गुहार पर भारतीय सेना वहां पर पहुंची थी।  

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