सरकार ने नीम से जुड़े उत्पादों की भारी मांग को देखते हुए इसकी खेती को बढ़ावा देने का लिया फैसला
नीम के पेड़ भारत में बहुतायत में मिलते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश के इलाके में इसको अमूमन घरों के बाहर लगाया जाता है क्योंकि यह आक्सीजन का एक अच्छा स्रोत माना जाता है। साथ ही इसकी पत्तियों आदि के इस्तेमाल से घर भी कीटों आदि से सुरक्षित रहता है।
अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। नीम का नाम लेते ही इसकी कड़वाहट जुबान पर आ जाती है। लेकिन गुणों की खान यह नीम अब लोगों के जीवन में मिठास घोलेगी। इसकी मुख्य वजह इससे जुड़े उत्पादों की बढ़ती मांग है। ऐसे में अब देश में इसकी बड़े पैमाने व्यावसायिक खेती शुरू करने की तैयारी है। इस लिहाज से हर स्तर पर काम तेजी से शुरू हो गया है। फिलहाल इस दिशा में जो अहम सफलता हाथ लगी है, उसमें नीम का ऐसा जीनोमिक्स तैयार किया गया है, जिससे मौजूदा पौधे के मुकाबले ज्यादा बीज और उनके बीजों से दोगुना से ज्यादा तेल मिलेगा। यह चार से पांच वर्षो में ही तैयार भी हो जाएगा।
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक नीम की व्यावसायिक खेती को प्रोत्साहित करने की यह योजना देश के साथ दुनिया भर में नीम से जुड़े उत्पादों की बढ़ी मांग को देखते हुए तैयार की गई है। इसके तहत बड़ा लक्ष्य था, नीम का ऐसा जीनोमिक्स (क्लोन) तैयार करना, जो गुणों के मामले में मूल पौधे जैसा ही हो। मंत्रालय ने इसका काम इंडियन काउंसिल आफ फारेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन (आइसीएफआरई) को सौंपा था। इसने अपने से जुड़े करीब नौ अन्य संस्थानों की मदद से यह सफलता हासिल की है। इसके तहत नीम के छह जीनोमिक्स तैयार किए गए हैं। इन सभी जीनोमिक्स को मंत्रालय की हाईपावर कमेटी ने हाल ही में मंजूरी भी दे दी है। अब इन सभी की खेती की जा सकेगी। वैसे भी आयुर्वेद के लिहाज से देखें तो नीम की पत्ती से लेकर छाल, बीज, तेल, लकड़ी सभी लाभकारी है।
नीम के पेड़ आम तौर पर भारत में बहुतायत में मिलते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश के इलाके में इसको अमूमन घरों के बाहर लगाया जाता है, क्योंकि यह आक्सीजन का एक अच्छा स्रोत माना जाता है। साथ ही इसकी पत्तियों आदि के इस्तेमाल से घर भी कीटों आदि से सुरक्षित रहता है।
मौजूदा समय में नीम के तेल की है सबसे ज्यादा मांग
मौजूदा समय में देश और दुनिया में नीम के तेल की ही सबसे ज्यादा मांग है। इसकी बड़ी वजह दवाओं सहित अलग-अलग क्षेत्रों में होने वाला इसका इस्तेमाल है। हाल ही में इसका यूरिया में भी इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। देश में अब नीम कोटेड यूरिया तैयार किया जा रहा है। भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिहाज से इसे ज्यादा उपयोगी बताया जा रहा है और यूरिया की कालाबाजारी भी रुकी है। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों की मानें तो इसकी खेती को प्रोत्साहित करने के लिए जल्द ही अभियान शुरू किया जाएगा। साथ ही लोगों को इससे होने वाली आय के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।