एचआइवी की दवा कोरोना को भी खत्म करने में पाई गई उपयोगी, सभी मरीज हुए ठीक

नाइटाजोक्सानाइड टेबलेट का सेवन करने वाले किसी भी कोरोना मरीज की मृत्यु नहीं हुई। दवा के असर को देखते हुए कोरोना के सभी मरीजों पर इसके इस्तेमाल की तैयारी की जा रही है। नाइटाजोक्सानाइड एचआइवी मरीजों को क्रिप्टोस्पोरोडियम के संक्रमण के नियंत्रण के लिए दी जाती है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 06:21 PM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 06:21 PM (IST)
एचआइवी की दवा कोरोना को भी खत्म करने में पाई गई उपयोगी, सभी मरीज हुए ठीक
एड्स के मरीजों के उपचार में उपयोगी नाइटाजोक्सानाइड दवा

जबलपुर, रामकृष्ण परमहंस पांडेय। ह्यूमन इम्युनोडिफिशियंसी वायरस (एचआइवी) से संक्रमित एड्स के मरीजों के उपचार में उपयोगी नाइटाजोक्सानाइड दवा कोरोना के वायरस को भी खत्म करने में उपयोगी पाई गई है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कालेज से संबंद्ध अस्पताल में कोरोना संक्रमित 200 मरीजों पर इस दवा का प्रयोग किया जा चुका है। सभी मरीज गंभीर स्थिति में पहुंचे बिना कोरोना को मात देकर घर जा चुके हैं। 

जबलपुर के मेडिकल कालेज में 200 मरीजों को दी गई नाइटाजोक्सानाइड दवा

खास बात यह भी है कि नाइटाजोक्सानाइड टेबलेट का सेवन करने वाले किसी भी कोरोना मरीज की मृत्यु नहीं हुई। दवा के असर को देखते हुए कोरोना के सभी मरीजों पर इसके इस्तेमाल की तैयारी की जा रही है। नाइटाजोक्सानाइड एचआइवी मरीजों को क्रिप्टोस्पोरोडियम के संक्रमण के नियंत्रण के लिए दी जाती है। इसके कारण मरीज को दस्त की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है।

कोरोना की दूसरी लहर में बीमारी के अन्य लक्षणों में दस्त की समस्या भी सामने आई, जिसे देखते हुए प्रयोग के तौर पर ऐसे लक्षण वाले कोरोना के मरीजों को नाइटाजोक्सानाइड दी गई और इसके अच्छे परिणाम सामने आए। फिर अन्य लक्षण वाले मरीजों पर इसे आजमाया गया। 

सभी कोरोना मरीज स्वस्थ होकर घर लौटे, किसी की नहीं बिगड़ी स्थिति 

अस्पताल के कोविड प्रभारी डा. संजय भारती का कहना है कि कोरोना मरीजों के उपचार में शामिल डाक्टरों की टीम ने सर्वसम्मति से नाइटाजोक्सानाइड के उपयोग की योजना बनाई थी। दवा के प्रयोग के बेहतर परिणाम सामने आने के बाद कोरोना के गंभीर मरीजों पर इसके प्रयोग को लेकर चर्चा की जा रही है। यहां भर्ती उन मरीजों पर नाइटाजोक्सानाइड का प्रयोग किया गया जो गंभीर हालत में नहीं थे। दवा के असर के चलते वे गंभीर स्थिति में नहीं पहुंचे। 

वहीं सामान्य लक्षण वाले कोरोना के वे मरीज जिन्हें नाइटाजोक्सानाइड नहीं दी गई थी, उनमें से कुछ गंभीर हालत में पहुंच गए। गौरतलब है कि वर्ष 2020 में देश में सबसे पहले आइवरमेक्टिन दवा का प्रयोग इसी अस्पताल के कोरोना मरीजों पर किया गया था। 

संतुष्ट हैं मरीज 

कोरोना से स्वस्थ हुए मरीजों का कहना है कि अस्पताल में जो दवाएं दी गई हैं, उनसे वे संतुष्ट हैं। कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए वे पहले घबरा रहे थे, लेकिन यहां जो इलाज दिया गया उसके बाद वे जल्द स्वस्थ हो गए। वे गंभीर हालत में भी नहीं पहुंचे।

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