भारतीय छात्रों के विदेश जाने की रफ्तार थामने की कवायद, देश उच्च शिक्षण संस्थानों ने उठाया यह कदम

उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता को मजबूती देने की कोशिशों के साथ-साथ सरकार अब पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले भारतीय छात्रों को देश में ही रोकने की तैयारी में है। इसके तहत विदेशी विश्वविद्यालयों से जुड़े प्रमुख कोर्स अब उन्हें देश में ही उपलब्ध होंगे।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 09:33 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 08:21 AM (IST)
भारतीय छात्रों के विदेश जाने की रफ्तार थामने की कवायद, देश उच्च शिक्षण संस्थानों ने उठाया यह कदम
सरकार अब पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले भारतीय छात्रों को देश में ही रोकने की तैयारी में है।

नई दिल्ली, जेएनएन। उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता को मजबूती देने की कोशिशों के साथ-साथ सरकार अब पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले भारतीय छात्रों को देश में ही रोकने की तैयारी में है। इसके तहत विदेशी विश्वविद्यालयों से जुड़े प्रमुख कोर्स अब उन्हें देश में ही उपलब्ध होंगे। इसे लेकर भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों ने विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर साझा कोर्स शुरू करने की मुहिम तेज की है। कोरोना संकट के दौर में वैसे भी भारतीय छात्र अब पढ़ाई के लिए विदेश जाने से थोड़ा हिचक रहे हैं।

यूजीसी ने जारी की गाइडलाइन

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एक गाइडलाइन जारी की है। इसके बाद कोई भी उच्च शिक्षण संस्थान ऐसे कोर्सों को शुरू कर सकेगा। लेकिन वे ऐसा कोई कोर्स शुरू नहीं कर सकेंगे जो देश की सुरक्षा और अखंडता को प्रभावित करता हो, साथ ही ऐसे किसी शोध को भी अनुमति नहीं दी जाएगी।

दो दर्जन संस्थानों ने किया अनुबंध

देश के करीब दो दर्जन से ज्यादा उच्च शिक्षण संस्थानों ने संयुक्त कोर्स शुरू करने को लेकर विदेशी संस्थानों के साथ अनुबंध किया है। माना जा रहा है कि नए शैक्षणिक सत्र में इन सभी संस्थानों में यह कोर्स शुरू हो जाएंगे। यूजीसी के मुताबिक, विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर शुरू किए जाने वाले संयुक्त कोर्सों को कुछ इस तरह डिजाइन किया जा रहा है, जिसमें 50 प्रतिशत क्रेडिट भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों की ओर से दिया जाएगा। साथ ही डिग्री में विदेशी और भारतीय दोनों ही उच्च शिक्षण संस्थानों के नाम दर्ज होंगे।

हर साल छह लाख छात्र जाते थे विदेश

यह पूरी पहल इसलिए भी अहम है क्योंकि कोरोना से पहले हर साल करीब छह लाख भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाते थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2019 में 5.88 लाख भारतीय छात्र पढ़ाई के लिए विदेश गए थे। इनमें से आधे छात्र अमेरिका, करीब 15 फीसद आस्ट्रेलिया, छह फीसद ब्रिटेन और सात फीसद कनाडा जाते हैं। बाकी छात्र अन्य देशों को जाते हैं।

शिक्षा बजट का दोगुना विदेश में शिक्षा पर करते हैं खर्च

रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश जाने वाले ये छात्र हर साल पढ़ाई पर करीब 72 हजार करोड़ रुपये खर्च करते हैं जो देश में उच्च शिक्षा पर खर्च होने वाले बजट का करीब दोगुना है। इससे हर साल बड़ी मात्रा में भारतीय मुद्रा विदेश चली जाती है। इसके अलावा जो छात्र पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं, उनमें से ज्यादातर उसी देश के होकर रह जाते हैं। इससे देश को आर्थिक के साथ-साथ प्रतिभा का भी नुकसान उठाना पड़ता है। पिछले साल यानी वर्ष 2020 में कोरोना के चलते सिर्फ 2.61 लाख छात्र ही पढ़ाई के लिए विदेश जा पाए थे।

विदेशी छात्रों को लुभाने की भी कोशिश

शिक्षा मंत्रालय ने इस बीच विदेशी छात्रों को भी भारतीय संस्थानों की ओर आकर्षित करने की योजना बनाई है। यूजीसी ने इसके तहत सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को अपने यहां विदेशी छात्रों की मदद के लिए एक काउंटर खोलने का निर्देश दिया है। अब तक करीब 160 उच्च शिक्षण संस्थानों ने अपने यहां यह दफ्तर खोल दिया है। इसके साथ ही इंटरनेट मीडिया और दूसरे माध्यमों से दुनिया के करीब 30 देशों में ब्रांडिंग भी कराई जा रही है। 

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