न्याय के बजाय यौन पीड़िता का तबादला, हाई कोर्ट ने लगाई रोक, सहकारिता विभाग का मामला, उपायुक्त हैं आरोपी

मध्‍य प्रदेश के सहकारिता विभाग में एक अजीब मामला सामने आया है। राज्‍य में पुरुष अधिकारी के यौन उत्पीड़न की शिकार महिला अधिकारी का इंदौर से 470 किमी दूर तबादला कर दिया गया है। पीड़ि‍ता की गुहार पर हाईकोर्ट ने तबादले पर रोक लगा दी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 09:40 PM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 09:40 PM (IST)
न्याय के बजाय यौन पीड़िता का तबादला, हाई कोर्ट ने लगाई रोक, सहकारिता विभाग का मामला, उपायुक्त हैं आरोपी
मध्‍य प्रदेश हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न की शिकार महिला अधिकारी के तबादले पर रोक लगा दी है...

इंदौर, जेएनएन। पुरुष प्रधान समाज की व्यवस्था की सच्चाई देखिए कि पुरुष अधिकारी के यौन उत्पीड़न की शिकार महिला अधिकारी को सरकार और अपने ही विभाग से न्याय तो नहीं मिला, उलटे उसका तबादला कर दिया गया। वह भी आसपास नहीं, बल्कि इंदौर से करीब 470 किमी दूर टीकमगढ़, ताकि वह आसानी से कानूनी लड़ाई लड़ने इंदौर नहीं आ सके और परेशान होकर केस वापस ले ले। लेकिन, आलाधिकारियों के इस मंसूबे पर हाई कोर्ट ने पानी फेर दिया और महिला अधिकारी के तबादले पर रोक लगा दी।

यौन प्रताड़ना देने का आरोप

मामला सहकारिता विभाग का है। उपायुक्त राजेश छत्री पर इंदौर में अधीनस्थ महिला अधिकारी को लंबे समय तक यौन प्रताड़ना देने का आरोप है। महिला अधिकारी ने इस बात का प्रतिरोध किया और स्थानीय परिवाद समिति से लेकर शासन स्तर तक आवाज उठाई। पुलिस ने छत्री के खिलाफ एफआइआर तो दर्ज की, लेकिन गिरफ्तारी नहीं करके उसे बचाती रही। उधर, विभाग ने छत्री को निलंबित करने के अलावा और कोई कार्रवाई नहीं की।

आरोपियों का हौसला बढ़ेगा

इस बीच महिला अधिकारी ने तबादला होने पर विभाग के प्रमुख सचिव से कहा कि स्थानीय परिवाद समिति ने भी छत्री को दोषी माना है। मेरा केस विचाराधीन है। इस तरह मेरा तबादला कर दिया जाएगा तो छत्री जैसे अधिकारियों का हौसला बढ़ेगा और मेरा मनोबल गिरेगा। भविष्य में कोई महिला न्याय के लिए नहीं लड़ पाएगी। महिला अधिकारी ने हाई कोर्ट के समक्ष भी अनुरोध किया कि तबादले से मेरा केस प्रभावित होगा।

पीड़ि‍ता ने अदालत से लगाई गुहार

पीड़ि‍ता ने अदालत से कहा कि मैं अविवाहित हूं और घर में अकेली कमाने वाली हूं। भाई पढ़ रहा है और मां की तबीयत ठीक नहीं है। मामले में पीड़ित महिला अधिकारी की ओर से अधिवक्ता मिनी रवींद्रन ने पैरवी की। हाई कोर्ट में प्रस्तुत दस्तावेजों में महिला अधिकारी की ओर से यह भी कहा गया है कि विभागीय अधिकारी की ओर से लगातार केस वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है। यहां तक कि छत्री के पिता और भाई ने भी दो-तीन बार उससे मिलकर केस वापस लेने का दबाव बनाया है। समझौता नहीं करने पर ही तबादला किया गया है।

मुझे केस की जानकारी नहीं : सहकारिता आयुक्त

वहीं सहकारिता आयुक्त एमके अग्रवाल का कहना है कि मुझे केस के बारे में कोई जानकारी नहीं है। आयुक्त बने मुझे अभी तीन दिन ही हुए हैं। अग्रवाल मामले से भले ही खुद हो अनभिज्ञ बता रहे हों, लेकिन जनवरी 2019 में जब यह मामला सामने आया था, तब भी अग्रवाल ही सहकारिता आयुक्त थे। महिला अधिकारी का केस विचाराधीन होने के बावजूद तबादला इतनी दूर क्यों किया गया और आरोपित उपायुक्त राजेश छत्री के खिलाफ आगे क्या कार्रवाई की जा रही है, इस बारे में भी आयुक्त ने कोई जवाब नहीं दिया। 

chat bot
आपका साथी