नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। केंद्र सरकार ने आगामी लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय कर्मियों को सातवें वेतन आयोग का तोहफा दिया है। आपको बता दें कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति और सैन्य बल न्यायाधिकरण के सेवानिवृत्त अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार माथुर की अध्यक्षता में 7वें केन्द्रीय वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी थी। इसकी रिपोर्ट 19 नवंबर 2015 को आई थी जिसमें जवानों को मिलने वाली कई तरह की सेवाओं में इजाफा करने की सिफारिश की गई थी। वर्ष 2016 में सरकार ने इसकी सिफारिशों को मंजूर करके इन्हें सशस्त्र सेना पर लागू करने की हरी झंडी दी थी। ये थीं इस आयोग की सिफारिशें।
30 जनवरी 2018 को राष्ट्रपति ने इसके तहत भारत के मुख्य न्यायधीश का वेतन एक लाख से बढ़ाकर 2.80 कर दिया था। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट समेत हाईकोर्ट के अन्य जजों के वेतन में भी इजाफा किया गया था। यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि केंद्रीय वेतन आयोग केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतनमान, सेवा निवृत्ति के लाभ और अन्य सेवा शर्तों संबंधी मुद्दों पर विचार करने के लिए समय-समय पर गठित किया जाता है। वेतन आयोग ने वेतन-भत्तों तथा पेंशन में में 23.55 प्रतिशत वृद्धि की सिफारिश की थी। इससे सरकारी खजाने पर 1.02 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का करीब 0.7 प्रतिशत का बोझ पड़ेगा। इस आयोग ने मूल वेतन में 14.27 प्रतिशत वृद्धि की सिफारिश की थी। इससे पहले, छठे वेतन आयोग में 20 प्रतिशत वृद्धि की सिफारिश की गई थी जिसे सरकार ने 2008 में क्रियान्वयन के समय दोगुना कर दिया था। कुल 23.55 प्रतिशत वृद्धि में भत्तों में बढ़ोतरी भी शामिल है। आयोग की रिपोर्ट में शुरुआती वेतन मौजूदा 7,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 मासिक करने जबकि अधिकतम वेतन जो मंत्रिमंडल सचिव का है, मौजूदा 90,000 रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये करने की सिफारिश की गई थी। इसके साथ ही 7वें वेतन आयोग ने रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन में भी 24 फीसदी बढ़ोतरी की सिफारिश की थी। इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए भी सरकार ने ग्रैच्युटी की सीमा भी बढ़ाई थी। 7वें वेतन आयोग ने सेना का न्यूनतम वेतन 6000 से बढ़ाकर 15,500 रुपये करने की सिफारिश की थी। इसके साथ ही सभी केंद्रीय सरकारी नौकरी में एक पद, एक पेंशन की सिफारिश भी की गई है। इस रिपोर्ट में ग्रैच्युटी की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने, पे ग्रेड, सैलरी बैंड खत्म करने और सभी केंद्रीय सेवाओं में फर्क खत्म करने की सिफारिश भी की गई थी। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद केंद्र सरकार पर करीब 1 लाख करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा। केंद्रीय कर्मचारियों का वेतन बढ़ने से वित्तीय घाटा जीडीपी का 0.65 फीसदी बढ़ेगा। पेंशन बिल में 33,700 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होगी। बजट पर 74,000 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा। रेल बजट पर 28,000 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा।
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