पर्सनल इंसॉल्वेंसी मामले में सुनवाई पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट

पर्सनल इंसॉल्वेंसी मामलों में आइबीसी की धाराओं को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं देशभर के विभिन्न हाई कोर्ट में लंबित। पर्सनल इंसॉल्वेंसी मामलों में इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) की धाराओं को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं देशभर के विभिन्न हाई कोर्ट में लंबित पड़ी हैं।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 07:34 AM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 07:34 AM (IST)
पर्सनल इंसॉल्वेंसी मामले में सुनवाई पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट
पर्सनल इंसॉल्वेंसी मामलों में सुप्रीम कोर्ट में फैसला।

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि देशभर के उच्च न्यायालयों में पर्सनल इंसॉल्वेंसी के मामलों में आइबीसी की धाराओं को चुनौती देने वाली याचिकाएं सुनने के बारे में वह आदेश पारित करेगा। पर्सनल इंसॉल्वेंसी मामलों में इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) की धाराओं को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं देशभर के विभिन्न हाई कोर्ट में लंबित पड़ी हैं। इन सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने के लिए इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (आइबीबीआइ) ने शीर्ष कोर्ट में याचिका दायर की हुई है।

मराठा कोटा मामले में महाराष्ट्र सरकार के दावे को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के उस दावे को गलत बताया है कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने संबंधी कानून के अमल पर रोक लगाते समय उसे पूरी तरह से नहीं सुना गया। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूíत हेमंत गुप्ता और न्यायमूíत अजय रस्तोगी की पीठ ने आरक्षण संबंधी कानून पर लगी रोक हटाने के लिए महाराष्ट्र सरकार का आवेदन चार सप्ताह बाद सुनवाई के लिये सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। इससे पहले इस मामले की संक्षिप्त सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस आदेश को पारित करते समय सरकार के पक्ष को पूरी तरह से नहीं सुना गया था। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार के इस तर्क पर पीठ ने कहा कि यह उचित नहीं है।

शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश और इस कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर यह आदेश पारित किया। शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार के आरक्षण संबंधी 2018 के कानून के अमल पर नौ सितंबर को रोक लगा दी थी, लेकिन स्पष्ट किया था कि इसका लाभ प्राप्त कर चुके लाभाíथयों की स्थिति में कोई फेरबदल नहीं किया जायेगा। न्यायालय ने कहा था कि महाराष्ट्र की आबादी में मराठा समुदाय की जनसंख्या 30 फीसद है और इसकी तुलना समाज के पिछड़े तबके के साथ नहीं की जा सकती।

chat bot
आपका साथी