माइल्ड संक्रमण के इलाज में कारगर साबित हो रही है एचसीक्यू, ICMR इन दवाओं के प्रति किया आगाह

हाइड्रोक्सी क्लोरोक्लीन न केवल कोरोना संक्रमण को रोकने में बल्कि माइल्ड केस के मामले में कारगर साबित हो रही है। ICMR कुछ दूसरी दवाओं के प्रति आगाह किया है...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 11 Jul 2020 07:57 PM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 04:02 AM (IST)
माइल्ड संक्रमण के इलाज में कारगर साबित हो रही है एचसीक्यू, ICMR इन दवाओं के प्रति किया आगाह
माइल्ड संक्रमण के इलाज में कारगर साबित हो रही है एचसीक्यू, ICMR इन दवाओं के प्रति किया आगाह

नीलू रंजन, नई दिल्ली। दुनिया भर हुए तमाम दुष्प्रचार के बावजूद हाइड्रोक्सी क्लोरोक्लीन (एचसीक्यू) न केवल कोरोना संक्रमण को रोकने में बल्कि माइल्ड केस के मामले में कारगर साबित हो रही है। आइसीएमआर पहले ही अपने गाइडलाइन में कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए हेल्थ केयर वकर्स और फ्रंट लाइन वकर्स को एचसीक्यू लेने की अनुशंसा कर चुका है। अब आइसीएमआर और एम्स ने सभी राज्यों को कोरोना के माइल्ड केस के इलाज में इसका इस्तेमाल करने को कहा है। वहीं रेमडेसिविर जैसे बहुप्रचारित दवा के इस्तेमाल में सावधानी बरतने की सलाह देते हुए लीवर और किडनी पर इसके दुष्प्रभावों के प्रति आगाह भी किया है।

एचसीक्यू के इस्तेमाल की सलाह

दरअसल, कोरोना प्रबंधन के मसले पर शुक्रवार को राज्यों, एम्स और आइसीएमआर के वरिष्ठ अधिकारियों की वर्चुअल बैठक हुई। इसमें राज्यों को कोरोना के माइल्ड केस के इलाज में एचसीक्यू के इस्तेमाल की सलाह दी गई है। आइसीएमआर ओर एम्स के अधिकारियों का कहना था कि माइल्ड केस के इलाज में एसचीक्यू कारगर साबित हुआ है। ध्यान देने की बात है कि कोरोना के कुल केस में माइल्ड केस 80 फीसदी से अधिक होते हैं। इसके पहले एचसीक्यू को कोरोना के इलाज के बाहर करने के लिए दुनिया में कई तरह के दुष्प्रचार किए गए जिनमें लांसेट जैसी प्रतिठति पत्रिका में फर्जी आंकड़ों के सहारे लेख छापना भी शामिल है। हालांकि बाद में लांसेट ने इस लेख को वापस ले लिया था।

रेमडेसिविर के इस्तेमाल में सावधानी बरतने के निर्देश

कोरोना के माइल्ड केस के इलाज में एचसीक्यू के इस्तेमाल के साथ ही आइसीएमआर ने राज्यों को रेमडेसिविर के इस्तेमाल में सावधानी बरतने को कहा है। आइसीएमआर के अनुसार, रेमडेसिविर समेत अन्य कई दवाओं को कड़ी निगरानी में सिर्फ इमरजेंसी की स्थित में इस्तेमाल की अनुमति दी है। आइसीएमआर का कहना है कि रेमसिडिविर कोरोना से होने वाली मौत को रोकने में कारगार साबित नहीं हुआ है। यह दवा केवल संक्रमण के समय को कम करती है। यानी मरीज को कम दिनों तक इलाज की जरूरत पड़ती है। रेमसेडिविर का साइड इफेक्ट बहुत ज्यादा है और यह किडनी और लीवर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है।

टोसिलीजुमाब के प्रति किया आगाह

रेमसिडिविर की तरह से टोसिलीजुमाब (Tocilizumab) भी कोरोना से होने वाली मौत को रोकने में कारगर नहीं है। यह शरीर में च्साइकोटाइन स्टोमर्ज पैदा कर सकता है। च्साइकोटाइन स्टोमर्ज में कोई दवा वायरस के बजाय खुद मरीज की स्वस्थ्य कोशिकाओं को खत्म करने लगता है जो घातक साबित हो सकता है। रेमडेसिविर और टोसिलीजुमाब का इस्तेमाल कड़ी निगरानी में करने की हिदायत को इस बात से समझा जा सकता है कि कोरोना के इलाज में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल शुरू हो गया है और इन दवाओं की कालाबाजारी की शिकायतें भी आ रही हैं। इनका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कोरोना के इलाज के बजाय मरीजों के लिए घातक साबित हो सकता है। 

chat bot
आपका साथी