देश के प्रमुख राज्यों में वर्तमान बुनियादी सुविधाओं और उनकी जरूरतों पर एक नजर...

गतिशक्ति हमारे देश के लिए एक ऐसी योजना होगी जो समग्र ढांचे की नींव रखेगी। हमारी अर्थव्यवस्था को एक समन्वित और समग्र रास्ता देगी। गतिशक्ति भविष्य के रास्ते से रोड़े हटाएगी। इससे भविष्य के आर्थिक जोन निर्माण की नई संभावना विकसित होगी और भारत के कायाकल्प का आधार बनेगी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 23 Aug 2021 01:02 PM (IST) Updated:Mon, 23 Aug 2021 01:02 PM (IST)
देश के प्रमुख राज्यों में वर्तमान बुनियादी सुविधाओं और उनकी जरूरतों पर एक नजर...
देश के प्रमुख राज्यों में वर्तमान बुनियादी सुविधाओं और उनकी जरूरतों को लेकर पड़ताल की। पेश है एक नजर:

नई दिल्‍ली, जेएनएन। भारत विविधता से भरा देश है। जहां कोस-कोस पर पानी और चार कोस पर वानी (वाणी) बदलने की बात की जाती हो, वहां आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि भौगोलिक विविधता किस प्रकार होगी। कहीं मैदान हैं तो कहीं पहाड़। कहीं रेगिस्तान की रेत है तो कहीं समुद्र का तटीय इलाका। जाहिर तौर पर प्राकृतिक विविधता से भरे इस देश में अलग-अलग राज्यों को बुनियादी सुविधाओं की अलग जरूरत होगी। दैनिक जागरण ने देश के प्रमुख राज्यों में वर्तमान बुनियादी सुविधाओं और उनकी जरूरतों को लेकर पड़ताल की। पेश है एक नजर:

दिल्ली: सुविधाएं हैं तो चुनौतियां भी

दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सैगल कहते हैं कि दिल्ली की सामाजिक, आर्थिक व भौगोलिक स्थिति अन्य राज्यों से बिल्कुल अलग है। इसके सामने चुनौतियां भी हैं। यह राज्य बिजली पानी जैसी जरूरतों के लिए भी दूसरे राज्यों पर निर्भर है। कुछ साल से दिल्ली में बिजली व्यवस्था बेहतर हुई है। ढांचागत विकास की राज्य और केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं पर काम चल रहा है। सड़क, फ्लाईओवर के साथ साथ मेट्रो का बिछ रहा जाल यहां के परिवहन के साधनों में शामिल हैं। मगर जिस तरह से दिल्ली की जरूरतें बढ़ रही हैं उस लिहाज से ये सुविधाएं कम पड़ रही हैं।

उत्तर प्रदेश: सोच का संकट

लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. मनोज कुमार अग्रवाल के अनुसार एक्सप्रेसवे परियोजनाओं का इतना बड़ा नेटवर्क किसी और राज्य में नहीं है। डेडिकेटेड रेल फ्रेट कारिडोर परियोजना उप्र के लिए सौगात है। हवाई अड्डों के विकास में भी उप्र पीछे नहीं है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उप्र तेजी से उभरा है लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर के समानुपात में प्रदेश में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां नहीं बढ़ पाई हैं। एक्सप्रेसवे परियोजनाओं और डेडिकेटेड रेल फ्रेट कारिडोर प्रोजेक्ट के साथ ही उनके अगल-बगल औद्योगिक गतिविधियों और भंडारण का लाजिस्टिक्स विकसित करने की इंटीग्रेटेड एप्रोच होनी चाहिए थी।

उत्तराखंड: तैयारी है पूरी

अपर मुख्य सचिव आनंद बर्धन के अनुसार राज्य में अभी भी तीन हजार से ज्यादा गांवों को सड़कों से जोड़ना बाकी है। 16 हजार से ज्यादा बस्तियों में पेयजल की आंशिक सुविधा ही है। केंद्र की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं चार धाम आलवेदर रोड, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे प्रोजेक्ट, भारतमाला प्रोजेक्ट के बूते सीमांत पर्वतीय क्षेत्रों में रोड कनेक्टिविटी, हेली सेवाओं का विस्तार आने वाले समय में राज्य की सूरत में बड़ा बदलाव दिखेगा।

जम्मू कश्मीर लददाख: बदहाल है स्वर्ग

कश्मीर में सड़कों का नेटवर्क जम्मू और लददाख से पूरी तरह बेहतर है। जम्मू प्रांत में आज भी कई इलाके सड़क नेटवर्क से बाहर हैं और सड़कों की स्थिति की जर्जरता का अंदाजा अक्सर हाइवे, राजौरी-पुंछ व डोडा में होने वाले सड़क हादसों की संख्या से लगाया जा सकता है। औद्योगिकीकरण, सड़क, परिवहन, रेल,बिजली-स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश देश के अन्य राज्यों की तुलना में बहुत पीछे है। प्रदेश में करीब सात हजार किमी लंबी सड़कें अभी भी चाहिए। बिजली आपूर्ति और खपत के बीच भी करीब 408 मेगावाट की कमी है। रेल नेटवर्क भी पूरे प्रदेश मे नहीं है। कई इलाकों में आज भी डीजी सेट से ही बिजली मिल रही है।

मध्य प्रदेश: कार्य प्रगति पर है

औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार शुक्ल ने कहा कि राज्य में ढांचागत परियोजनाओं के विकास के लिए प्रदेश में भूमि की पर्याप्त उपलब्धता है। दस हजार एकड़ भूमि पर बीस औद्योगिक पार्क बनाए जा रहे हैं। लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव के अनुसार आने वाले तीन साल में 105 रेलवे ओवर ब्रिज बनाए जाएंगे। तीन हजार 800 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय राजमार्गो के निर्माण की स्वीकृति केंद्र सरकार से मिल गई है। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में विकास के द्वार खोलने वाले अटल प्रोग्रेस वे को केंद्र सरकार ने भारत माला परियोजना के प्रथम चरण में शामिल कर लिया है।

हरियाणा: तस्वीर की जमीनी हकीकत

देश के भौगोलिक क्षेत्र का 1.37 फीसद और जनसंख्या का दो फीसद होने के बावजूद हरियाणा आटोमोबाइल, आइटी और अन्य उद्योगों का बड़ा केंद्र है। यहां अति उत्तम संचार सुविधाएं, विकसित औद्योगिक संपदा, चमचमाती सड़कें, एक्सप्रेस वे, रेलमार्ग, मेट्रो रेल का जाल बिछ चुका है जिन पर बने अनेक ओवर ब्रिज व फ्लाईओवर यातायात को सुगम बनाते हैं। 75 फीसद गांवों में 24 घंटे बिजली है तो सभी गांव सड़कों से भी जुड़े हैं।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को तीन ओर से घेरने वाले हरियाणा के 14 जिले नियोजित विकास के उद्देश्य से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल हैं। सालाना दो लाख 39 हजार 539 रुपये की प्रति व्यक्ति आय वाले इस प्रदेश में देश के सर्वाधिक करोड़पति ग्रामीण हैं। दक्षिण एशिया का सबसे विकसित यह क्षेत्र पूरे भारत की 65 फीसद यात्री कारों, 60 फीसद मोटरसाइकिल, 50 फीसद ट्रैक्टर और 50 फीसद रेफ्रीजेरेटरों का उत्पादन करता है। हालांकि उद्योगों के विस्तार और परियोजनाओं के लिए महंगी जमीन बड़ी समस्या है।

हिमाचल प्रदेश: गुणवत्ता की जरूरत

भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी तरुण श्रीधर का कहना है कि हिमालय पर्वत, विश्व की सबसे विशाल, आकर्षक और युवा पर्वत श्रृंखला है। प्रदेश में बुनियादी ढांचे पर निवेश का मूल सिद्धांत यह हो कि हमें हिमालय को न केवल सुरक्षित रखना है, अपितु और बलशाली बनाना है। मूलभूत सुविधाओं की अधिकता के बावजूद क्यों हम दावा नहीं कर सकते कि कोई सड़क विश्वस्तरीय भी है या फिर वर्षा या बर्फबारी की मार ङोलने की क्षमता रखती हो? 1903 में बनी कालका-शिमला रेललाइन हर मौसम में टिकी रहती है और दूसरी ओर हाल ही में निíमत उच्च मार्ग निरंतर भूस्खलन से पीड़ित रहता है। विकास ठोस हो; आधारभूत ढांचे का हो, मात्र ठेकेदारी का नहीं। चाहे भवन हों या पुल, भौतिक अवसंरचना का निर्माण स्थानीय पर्वतीय कला और शैली में हो; ठोस होगा, कंक्रीट नहीं।

झारखंड: संभावनाओं का पूरा आकाश

क्रेडाई एवं चैंबर से जुड़े उद्योगपति चंद्रकांत रायपत के अनुसार आधारभूत संरचना के क्षेत्र में अभी झारखंड बहुत पिछड़ा है। सार्वजनिक परिवहन के संसाधनों में कमी को स्पष्ट तौर पर महसूस किया जा सकता है। झारखंड में धाíमक, प्राकृतिक, खनन आदि के क्षेत्र में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं जिनके लिए वर्तमान में इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने और दुरुस्त करने की जरूरत है। झारखंड के बड़े शहरों से हवाई सेवा की शुरुआत जरूरी है। उद्योगों के लिए जमीन उपलब्ध कराने में आदिवासी जमीन अधिग्रहण कानून बड़ी बाधा बना हुआ है। बिजली संकट भी दिनोंदिन गंभीर होता जा रहा है।

पश्चिम बंगाल: दृढ़ इच्छाशक्ति की दरकार

भारतीय उद्योग परिसंघ के पूर्वी क्षेत्र की बुनियादी सुविधाओं के विकास पर गठित समिति के अध्यक्ष संदीप कुमार ने कहा कि राज्य में ढांचागत परियोजनाओं के विकास में जमीन की कमी सबसे बड़ी समस्या थी जिसका काफी हद तक समाधान किया जा चुका है। राज्य सरकार ने इसके लिए वृहत भूमि बैंक की स्थापना की है। कुमार ने कहा कि बंगाल सरकार ने कार्गो परिवहन, पर्यटन, यात्री यातायात के लिए बुनियादी सुविधाओं का विकास किया है। राज्य के विकास तथा केंद्र की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए सरकार को ढांचागत परियोजनाओं को समय पर पूरा करना सबसे जरूरी है। इसके लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है। हालांकि हाल ही में सरकार ने 2475 करोड़ रुपये आवंटित करके 16 नए पुलों और फ्लाइओवर के निर्माण की घोषणा की है।

छत्तीसगढ़: असमान विकास की समस्या

सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी डा सुशील त्रिवेदी के अनुसार प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर और बिजली उत्पादन के मामले में सरप्लस राज्य को ढांचागत विकास की सख्त जरूरत है। दक्षिण छत्तीसगढ़ के बस्तर मंडल की जनता के जीवन को अभी भी दस हजार वर्ष पीछे कहा जा सकता है। दूसरी तरफ नया रायपुर है जो 21वीं शदी के उन्नत शहर के रूप में विकसित हो रहा है। प्रदेश के दस जिले आकांक्षी जिलों की सूची में हैं जहां शिक्षा-चिकित्सा सहित चौतरफा विकास की सख्त जरूरत है। सड़क और रेलमार्गो को तेजी से विकसित किए जाने की आवश्यकता है।

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