Guru Arjan Dev Martyrdom Day : गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस आज, जानें- क्या है इस दिन का महत्व

गुरु अर्जुन देव जी की अमर गाथा आज भी पंजाब के हर घर में सुनाई जाती है। उनका जन्म 15 अप्रैल 1563 को गोइंदवाल साहिब में हुआ था। उनके पिता गुरु राम दास थे जो सिखों के चौथे गुरु थे और माता का नाम बीवी भानी था।

By Neel RajputEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 09:01 AM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 09:01 AM (IST)
Guru Arjan Dev Martyrdom Day : गुरु अर्जुन देव शहीदी दिवस आज, जानें- क्या है इस दिन का महत्व
30 मई, 1606 को हुआ था निधन

नई दिल्ली, जेएनएन। धर्म रक्षक और मानवता के सच्चे प्रेमी थे गुरु अर्जुन देव जी। सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव जी का नाम इतिहास के पन्नों पर दर्ज है। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सेवा में ही व्यतीत किया। साल 1606 में लाहौर में मुगल बादशाह जहांगीर ने उन्हें बंदी बना लिया था और मृत्युदंग की सजा सुनाई थी।

क्यों शहीद हुए गुरु अर्जुन देव

गुरु अर्जुन देव जी धर्म रक्षक और मानवता के सच्चे सेवक थे और उनके मन में सभी धर्मों के लिए सम्मान था। मुगलकाल में अकबर, गुरु अर्जुन देव के मुरीद थे, लेकिन जब अकबर का निधन हो गया तो इसके बाद जहांगीर के शासनकाल में इनके रिश्तों में खटास पैदा हो गई। ऐसा कहा जाता है कि शहजादा खुसरो को जब मुगल शासक जहांगीर ने देश निकाला का आदेश दिया था, तो गुरु अर्जुन देव ने उन्हें शरण दी। यही वजह थी कि जहांगीर ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी। गुरु अर्जुन देव ईश्वर को यादकर सभी यातनाएं सह गए और 30 मई, 1606 को उनका निधन हो गया। जीवन के अंतिम समय में उन्होंने यह अरदास की।

तेरा कीआ मीठा लागे।

हरि नामु पदारथ नानक मांगे॥

जानें कब और कहां हुआ था जन्म

गुरु अर्जुन देव जी की अमर गाथा आज भी पंजाब के हर घर में सुनाई जाती है। उनका जन्म 15 अप्रैल, 1563 को गोइंदवाल साहिब में हुआ था। उनके पिता गुरु राम दास थे, जो सिखों के चौथे गुरु थे और माता का नाम बीवी भानी था। गुरु अर्जुन देव बचपन से ही धर्म-कर्म में रुचि लेते थे। उन्हें अध्यात्म से भी काफी लगाव था और समाज सेवा को अपना सबसे बड़ा धर्म और कर्म मानते थे। सिर्फ 16 साल की उम्र में ही उनका विवाह माता गंगा से हो गया था। वहीं, 1582 में उन्हें सिखों के चौथे गुरु रामदास ने अर्जुन देव जी को अपने स्थान पर पांचवें गुरु के रूप में नियुक्त किया था।

गुरु अर्जुन देव की रचनाएं

अर्जुन देव को साहित्य से भी अगाध स्नेह था। ये संस्कृत और स्थानीय भाषाओं के प्रकांड पंडित थे। इन्होंने कई गुरुवाणी की रचनाएं कीं, जो आदिग्रन्थ में संकलित हैं। इनकी रचनाओं को आज भी लोग गुनगुनाते हैं और गुरुद्वारे में कीर्तन किया जाता है।

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