Gujarat Election Result: चुनाव का गुजरात मॉडल भाजपा शासित अन्‍य राज्यों के लिए भी बढ़ाएगा चुनौती

यह चुनावी मॉडल केवल विपक्ष ही नहीं बल्कि भाजपा की प्रदेश इकाइयों के लिए भी चुनौती बनकर उभरने लगा है। गुजरात भाजपा ने न सिर्फ चुनावी तासीर बदल दी है बल्कि अगले विधानसभा चुनाव के लिए सौ फीसद सीटें जीतने का लक्ष्य रख दिया है।

By Arun kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 07:49 PM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 06:54 AM (IST)
Gujarat Election Result: चुनाव का गुजरात मॉडल भाजपा शासित अन्‍य राज्यों के लिए भी बढ़ाएगा चुनौती
प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

 नई दिल्ली, आशुतोष झा। अपने विकास कार्यों के लिए चर्चित रहा गुजरात मॉडल अब अपनी चुनावी रणनीति के लिए भी चर्चा में आ गया है। यह चुनावी मॉडल केवल विपक्ष ही नहीं, बल्कि भाजपा की प्रदेश इकाइयों के लिए भी चुनौती बनकर उभरने लगा है। बहुत मुश्किल से सत्ता में वापसी करने में सफल रही गुजरात भाजपा ने न सिर्फ चुनावी तासीर बदल दी है बल्कि अगले विधानसभा चुनाव के लिए सौ फीसद सीटें जीतने का लक्ष्य रख दिया है। 

महानगरपालिका और ग्रामीण क्षेत्रों में 80 फीसद सीटें जीतकर दिए संकेत

जाहिर है कि दूसरे सभी भाजपा शासित राज्यों के लिए भी भविष्य में न सिर्फ सरकार बनाना लक्ष्य होगा बल्कि और बड़ी संख्या में वापसी का मंत्र तलाशना होगा। गुजरात के 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा लगातार छठी बार जीत हासिल करने में सफल रही थी। लेकिन एक चेतावनी के साथ कि प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के केंद्रीय राजनीति में जाने के बाद कांग्रेस के लिए परिस्थिति बदलने का मौका है। भाजपा 182 सीटों वाली विधानसभा में 99 सीटों पर अटक गई थी। गुजरात मॉडल बिखरने की आहट शुरू हो गई थी, लेकिन पिछले दो वर्षों में भाजपा ने वहां न सिर्फ वापसी की बल्कि विपक्ष के साथ-साथ भाजपा के अंदर भी एक बड़ी चुनौती पेश कर दी है। 

99 से 182 की ऊंची छलांग का लक्ष्य रख गुजरात भाजपा ने तेज किए कदम

गुजरात पहला राज्य है, जहां किसी भी दल ने सौ फीसद सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है और उपचुनाव के बाद महानगरपालिका और ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 80 फीसद सीटें जीतकर यह संकेत भी दे दिया है कि वह सौ फीसद की ओर बढ़ रही है। प्रदेश में कांग्रेस घुटने टेकने लगी है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वहां के प्रदेश अध्यक्ष ने इस्तीफा दे दिया है। लेकिन सूत्रों की मानें तो भाजपा शासित राज्यों में प्रदर्शन का दबाव बढ़ने लगा है। 

ध्यान रहे कि असम में चुनाव है। पिछली बार भाजपा ने वहां 126 में 60 सीटें जीती थीं और अन्य सहयोगियों के साथ उसकी 86 सीटें आई थीं। इस बार एक सहयोगी साथ छोड़ चुका है। जबकि कांग्रेस अपने सबसे बड़े नेता तरुण गोगोई की गैरमौजूदगी में किसी भी सर्वमान्य नेता के बगैर चुनाव लड़ रही है। ऐसे में असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल और मंत्री व रणनीतिकार हिमंता बिस्व सरमा पर गुजरात मॉडल का दबाव रहेगा। 

अगले साल देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में मतदान है। पिछली बार वहां भाजपा ने 325 सीटों के साथ अभूतपूर्व प्रदर्शन किया था। पांच साल के बाद कम से कम उसी प्रदर्शन को दोहराने का दबाव रहेगा। मालूम हो कि प्रधानमंत्री नीति आयोग की बैठकों में लगातार कहते रहे हैं कि विकास के मामले में राज्यों को एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए। भाजपा सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेताओं के बीच गुजरात मॉडल प्रतिस्पर्धा बढ़ाएगा। लिहाजा, भाजपा की प्रदेश इकाइयों को अपना मानक बढ़ाना होगा।

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