गुजरात कांग्रेस में फेरबदल की हो रही देरी से हार्दिक पटेल जैसे नेताओं में बढ़ी बेचैनी

गुजरात कांग्रेस के संगठन और नेतृत्व का चेहरा बदलने को लेकर लंबे अर्से से दुविधा में घिरे पार्टी आलाकमान के लिए अब पाटीदार समुदाय से ताल्लुक रखने वाले युवा नेता हार्दिक पटेल की संगठन में बड़ी भूमिका की दावेदारी को नजरअंदाज करना आसान नहीं रह गया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 08:27 PM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 08:27 PM (IST)
गुजरात कांग्रेस में फेरबदल की हो रही देरी से हार्दिक पटेल जैसे नेताओं में बढ़ी बेचैनी
गुजरात कांग्रेस के लेकर राहुल गांधी और हार्दिक पटेल

 नई दिल्ली, संजय मिश्र। गुजरात कांग्रेस के संगठन और नेतृत्व का चेहरा बदलने को लेकर लंबे अर्से से दुविधा में घिरे पार्टी आलाकमान के लिए अब पाटीदार समुदाय से ताल्लुक रखने वाले युवा नेता हार्दिक पटेल की संगठन में बड़ी भूमिका की दावेदारी को नजरअंदाज करना आसान नहीं रह गया। मुख्यमंत्री समेत गुजरात की पूरी सरकार बदल देने के भाजपा के सियासी दांव ने जहां हार्दिक समेत सूबे के कांग्रेस नेताओं की बेचैनी बढ़ा दी है, वहीं पार्टी नेतृत्व के लिए भी संगठन में बदलाव की कसरत चुनौतीपूर्ण हो गई है। इसके मद्देनजर ही हार्दिक के साथ सूबे के कई नेता हाईकमान पर फैसले का दबाव बना रहे हैं।

पाटीदारों को साधने के लिए प्रदेश अध्यक्ष पद पर दावेदारी जता रहे हार्दिक

उनका साफ कहना है कि संगठन में फेरबदल की दुविधा का जल्द अंत नहीं हुआ तो गुजरात में कांग्रेस की सियासी तैयारियों की कारवां बहुत पीछे छूट जाएगा। समझा जाता है कि गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने पार्टी नेतृत्व को यह संदेश पहुंचा दिया है कि भाजपा के चौंकाने वाले सियासी कदमों के बाद प्रदेश संगठन के नेतृत्व को लेकर किसी तरह की देरी अगले साल नवंबर-दिसंबर में होने वाले चुनाव में कांग्रेस की मौजूदा चुनौतियों में इजाफा करेगी।

पाटीदारों को साधे रखना कांग्रेस के लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ केंद्रीय नेताओं ने भी नेतृत्व को इशारा किया है कि हार्दिक जैसे चेहरों को आगे लाने की पहल में सूबे के दिग्गजों की अड़चन डालने की कोशिश नहीं रुकी तो गुजरात के सबसे प्रभावशाली पाटीदार समुदाय के बीच सही संदेश नहीं जाएगा। पाटीदारों को साधे रखना कांग्रेस के लिए अब ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया है, क्योंकि भाजपा ने पाटीदार समुदाय के ही गैर विवादास्पद नेता भूपेंद्र पटेल को नया मुख्यमंत्री बनाया है।

पुराने दिग्गज कर रहे विरोध, गुजरात कांग्रेस की हालत बिन पतवार नाव जैसी

बताया जाता है कि भरत सोलंकी, अर्जुन मोढ़वाडिया, अमित चावड़ा और परेश धनाणी जैसे गुजरात कांग्रेस के प्रमुख नेता हार्दिक पटेल को संगठन की कमान देने का विरोध कर रहे हैं। वहीं अगले चुनाव में पाटीदारों को साधने के लिहाज से हार्दिक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए अपनी मजबूत दावेदारी जता रहे हैं और पिछले दिनों दिल्ली आकर उन्होंने पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं से बातचीत भी की।

सूबे के सियासी समीकरण के लिहाज से दावेदारी जता रहे हैं हार्दिक पटेल

गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ पाटीदार समुदाय के बड़े आंदोलन की अगुआई कर रहे हार्दिक के रुख के चलते कांग्रेस को इस वर्ग का भरपूर वोट मिला। हालांकि यह अलग बात है कि कांटे के टक्कर के बावजूद भाजपा ने कांग्रेस को सत्ता की दौड़ में पीछे छोड़ दिया। हार्दिक पिछले लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हुए और पिछले साल उन्हें गुजरात कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। अब जब पार्टी नए अध्यक्ष की तलाश कर रही है तो हार्दिक सूबे के सियासी समीकरण के लिहाज से अपनी दावेदारी जता रहे हैं।

बीते मार्च में ही स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस की करारी शिकस्त के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा और विधायक दल के नेता परेश धनाणी ने इस्तीफा दे दिया था और तभी से बदलाव की मशक्कत चल रही है। इसी बीच कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गुजरात कांग्रेस के प्रभारी पार्टी के युवा नेता राजीव साटव का असमय निधन हो गया और तब से चार महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी हाईकमान नए प्रभारी की नियुक्ति नहीं कर सका है।

इस लिहाज से गुजरात कांग्रेस की मौजूदा हालत बिन पतवार नाव की तरह है क्योंकि सूबे में पार्टी के पास न पूर्णकालिक अध्यक्ष है, न विधायक दल का नेता ही और न ही कोई केंद्रीय प्रभारी। इसके उलट भाजपा ने चार-पांच दिन की सियासी कसरत में ही सूबे की अपनी पूरी सरकार के साथ एक तरह से चुनाव की टीम ही बदल डाली है। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व के इस अनिर्णय के रुख से हार्दिक जैसे नेताओं की बेचैनी का बढ़ना लाजिमी है।

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