घर खरीदने वालों के लिए रेरा मजबूत नियामक तंत्र, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताई अहमियत

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि घर खरीदने वालों के लिए देश में रेरा के रूप में एक मजबूत नियामक तंत्र मौजूद है। यह कानून घर खरीदारों के हितों को पारदर्शी तरीके से सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 10:34 PM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 10:40 PM (IST)
घर खरीदने वालों के लिए रेरा मजबूत नियामक तंत्र, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताई अहमियत
सरकार का कहना है कि घर खरीदने वालों के लिए रेरा के रूप में एक मजबूत नियामक तंत्र मौजूद है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि घर खरीदने वालों के लिए देश में रेरा के रूप में एक मजबूत नियामक तंत्र मौजूद है। यह कानून घर खरीदारों और प्रवर्तकों के अधिकारों और हितों को जवाबदेह और पारदर्शी तरीके से संतुलित करने का प्रयास करता है। केंद्र ने यह बात शीर्ष अदालत में दाखिल एक हलफनामे में कही है।

यह हलफनामा, उस याचिका को लेकर दायर किया गया जिसमें ग्राहकों की सुरक्षा के लिए बिल्डर और एजेंट खरीदारों के लिए आदर्श समझौता व्यवस्था तैयार करने और भू-संपदा विनियामक अधिनियम (रेरा) 2016 के अनुरूप रियल्टी क्षेत्र में पारदर्शिता लाने का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया गया है।

केंद्र सरकार ने कहा कि वह सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ रेरा के लागू होने के बाद 2016 में ही बिक्री के लिए समझौते के मसौदे को साझा कर चुकी है। वर्तमान में, नगालैंड को छोड़कर सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश रेरा के तहत नियमों को अधिसूचित कर चुके हैं।

केंद्र ने कहा कि अदालत के संज्ञान में यह लाया जाना चाहिए कि 2014 से पहले भू-संपदा क्षेत्र काफी हद तक अनियमित था। रेरा के नियामक तंत्र के तहत, ऐसी चल रहीं परियोजनाओं को रेरा के तहत पंजीकृत कराने की जरूरत है जिन्हें पूर्णता प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं हुआ है।

हलफनामे में कहा गया कि रेरा विज्ञापन, विपणन, बुकिंग, बिक्री से पहले परियोजनाओं के पंजीकरण को अनिवार्य बनाता है और अचल संपत्ति परियोजनाओं की समय पर सुपुर्दगी सुनिश्चित करता है।

रेरा, विवादों के त्वरित निपटारे के माध्यम से उचित लेनदेन, समय पर वितरण और गुणवत्ता निर्माण के महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान करता है, इस प्रकार यह घर खरीदारों को सशक्त बनाता है।

शीर्ष अदालत ने अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर आठ नवंबर को सुनवाई करते हुए कहा था कि भू-संपदा क्षेत्र में एक आदर्श बिल्डर-खरीदार समझौता व्यवस्था की आवश्यकता है। केंद्र को इस मुद्दे पर अपना जवाब दाखिल करना चाहिए क्योंकि यह जनहित से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मामला है। 

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