भिखारियों के चेहरों पर सरकार अब लाएगी मुस्कान, 10 वर्षों तक इनके पुनर्वास का उठाएगी जिम्मा

फिलहाल इस स्कीम को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर भिखारियों से मुक्त बनाने के लिए चुने गए दिल्ली सहित देश के 10 बड़े शहरों में लागू करने की तैयारी है। इसके लिए इन सभी शहरों में भिखारियों की सही संख्या का पता लगाने के लिए सर्वे कराया गया है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 09:34 PM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 09:42 PM (IST)
भिखारियों के चेहरों पर सरकार अब लाएगी मुस्कान, 10 वर्षों तक इनके पुनर्वास का उठाएगी जिम्मा
दिल्ली सहित नौ शहरों में भिखारियों के सर्वे का काम हुआ लगभग पूरा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भिखारियों के पुनर्वास के लिए वैसे तो अब तक अलग-अलग स्तरों पर काफी प्रयास हो चुके हैं, लेकिन फिर भी उनकी जिंदगी में कोई खास बदलाव नहीं आया है। पिछले वर्षों में तो इनकी संख्या बढ़ी भी है, जो चिंता बढ़ाने वाली है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने इसके लिए स्माइल (सपोर्ट फार मार्जिनलाईज्ड इनडिविजुअल्स फार लाइवलीहुड एंड इंटरप्राइज) स्कीम के नए चरण की शुरुआत की है। इसके तहत भिखारियों और भिक्षावृत्ति में लगे लोगों का पूरी तरह से पुनर्वास किया जाएगा। साथ ही अगले 10 साल तक उनके खाने-पीने, रहने, स्वास्थ्य, पढ़ाई और स्किल ट्रेनिंग का पूरा खर्चा भी मंत्रालय उठाएगा।

फिलहाल इस स्कीम को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर भिखारियों से मुक्त बनाने के लिए चुने गए दिल्ली सहित देश के 10 बड़े शहरों में लागू करने की तैयारी है। इसके लिए इन सभी शहरों में भिखारियों की सही संख्या का पता लगाने के लिए सर्वे कराया गया है। नौ शहरों के सर्वे का काम पूरा हो गया है। अकेले दिल्ली में ही 20 हजार से ज्यादा इनकी संख्या मिली है। इनमें महिला और बच्चे भी शामिल हैं।

स्कीम के तहत तैयार किया गया प्रत्येक भिखारी का पूरा ब्योरा

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के मुताबिक इस स्कीम के तहत प्रत्येक भिखारी का पूरा ब्योरा तैयार किया गया है। इसमें भीख मांगने वाले क्षेत्र से लेकर उनके स्वास्थ्य, पढ़ाई आदि की पूरी जानकारी है। इसके आधार पर ही अब इनके पुनर्वास से लेकर पढ़ाई, स्किल ट्रेनिंग आदि देने की पूरी योजना पर काम चल रहा है। इनमें बड़ी संख्या में ऐसे भिखारी भी हैं, जिनके पास अपनी पहचान से जुड़ा कोई दस्तावेज भी नहीं है।

मंत्रालय के मुताबिक इस पूरी योजना पर अगले पांच वर्षो में करीब दो सौ करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। साथ ही उनके पुनर्वास पर 10 साल का समय दिया जाएगा। मंत्रालय का मानना है कि जब तक उनके रहन-सहन की आदतें नहीं बदलेंगी, तब तक उनके फिर से भिक्षावृत्ति से जुड़ने की आशंका बनी रहेगी।

अधिकारियों के मुताबिक दिल्ली सहित 10 शहरों में स्कीम को बेहतर तरीके से लागू करने के बाद इसे देश के अन्य सौ शहरों में भी विस्तार दिया जाएगा। यह सभी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल शहर होंगे।

कोलकाता का नाम हटा, अहमदाबाद को किया गया शामिल

दिल्ली सहित देश के जिन 10 शहरों को पहले चरण में भिखारियों से मुक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर काम शुरू किया है, उनमें कोलकाता का नाम भी शामिल था। लेकिन बंगाल सरकार के असहयोग के चलते केंद्र ने अंतिम समय में इसे प्रोजेक्ट से अलग कर दिया। इसकी जगह अब अहमदाबाद को शामिल किया गया है। अब जिन 10 शहरों को इस स्कीम के लिए चुना गया है, उनमें दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, नागपुर, पटना, इंदौर, लखनऊ और अहमदाबाद शामिल हैं।

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