नमामि गंगे परियोजना: गंगा किनारे के स्थानीय निकायों में मानव अपशिष्ट प्रबंधन पर सरकार का है विशेष जोर

जल शक्ति मंत्रालय की पहल पर गंगा किनारे वाले शहरों और कस्बों के स्थानीय निकायों के अधिकारियों सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट व मानव अपशिष्ट प्रबंधन प्लांट के संचालकों और स्वच्छता से जुड़े कर्मचारियों उद्यमियों और इसके विशेषज्ञों के साथ एक संयुक्त समझौता किया गया है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 09:01 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 09:40 PM (IST)
नमामि गंगे परियोजना: गंगा किनारे के स्थानीय निकायों में मानव अपशिष्ट प्रबंधन पर सरकार का है विशेष जोर
वाश इंस्टीट्यूट करेगा स्वच्छता व मल प्रबंधन से जुड़े लोगों को प्रशिक्षित

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गंगा जल को निर्मल और उसकी धारा को अविरल बनाने के लिए गंगा किनारे के शहरों व कस्बों की सीवर व्यवस्था दुरुस्त की जाएगी। गंगा नदी में गंदे नाले और सीवेज को गिरने से रोकने के साथ ही उसे वैज्ञानिक तरीके से साफ किया जाएगा। गंगा किनारे के कस्बों और शहरों में बनाए गए शौचालयों के सेप्टिक टैंक का अपशिष्ट प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है, जिससे निपटने के लिए कई वैज्ञानिक संस्थानों ने पहल की है। इसके तहत वाश इंस्टीट्यूट गंगा किनारे वाले नगर निकायों में स्वच्छता व मानव अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े लोगों को प्रशिक्षित करेगा। कुछ विदेशी संस्थाएं इसके लिए वित्तीय मदद भी करने को राजी हैं।

जल शक्ति मंत्रालय की पहल पर गंगा किनारे वाले शहरों और कस्बों के स्थानीय निकायों के अधिकारियों, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट व मानव अपशिष्ट प्रबंधन प्लांट के संचालकों और स्वच्छता से जुड़े कर्मचारियों, उद्यमियों और इसके विशेषज्ञों के साथ एक संयुक्त समझौता किया गया है। गंगा किनारे के शहरों व गांवों में कुल 62 लाख से अधिक शौचालयों का निर्माण कराया गया है। इन्हीं शौचालयों से संग्रहित मानव अपशिष्ट का प्रबंधन अगली चुनौती मानकर तैयारियां शुरू की गई हैं। मानव अपशिष्ट प्रबंधन को स्थानीय स्तर पर करने के लिए वाटर, सैनिटेशन एंड हाइजीन इंस्टीट्यूट (वास इंस्टीट्यूट) संबंधित विभाग के कर्मचारियों व अफसरों को प्रशिक्षण देगा।

गंगा बेसिन के छोटे बड़े शहरों व कस्बों में स्वच्छता के साथ कचरा व मानव अपशिष्ट प्रबंधन को उच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इस दिशा में किए गए कार्यो को वैज्ञानिक स्वरूप दिया जाएगा। इस परियोजना को बिल एंड मि¨लडा गेट्स फाउंडेशन से भी मदद मिलेगी। गंगा किनारे के राज्यों पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के स्थानीय निकायों को इसका सीधा लाभ प्राप्त होगा। इसके अलावा यह परियोजना दूसरे क्षेत्र के शहरी निकायों में भी संचालित की जाएगी। विजयवाड़ा, भुवनेश्वर, उदयपुर, पुणे, औरंगाबाद, चेन्नई और हैदराबाद में भी इस तरह का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

नदियों में गंदा पानी और मानव अपशिष्ट जाने से रोकने के लिए उसका प्रसंस्करण उसके निकलने वाले स्थल पर ही करना होगा। लेकिन इसके लिए कुशल कार्यबल की भारी मांग है। इस जरूरत को वाश इंस्टीट्यूट के साथ हुए समझौते से पूरा किया जा सकता है। गंगा नदी को स्वच्छ व निर्मल बनाने के लिए उसमें गिरने वाले ज्यादातर नालों को पहले ही बंद कर दिया गया है। जबकि सेप्टिक टैंकों में जमा शौचालयों के अपशिष्ट को निस्तारित करने के लिए विशेष वैज्ञानिक प्रबंधन की तैयारी की जा रही है।

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