किन्नरों को हुनरमंद बनाएगी सरकार, अब थर्ड जेंडर की भी होगी गणना

देश में अब तक हाशिए पर रहे किन्नरों ( ट्रांसजेंडर ) की सरकार ने सुध ली है। इनके कल्याण के लिए वह एक व्यापक योजना (स्कीम) पर काम कर रही है।

By Nancy BajpaiEdited By: Publish:Wed, 26 Sep 2018 10:41 AM (IST) Updated:Wed, 26 Sep 2018 05:17 PM (IST)
किन्नरों को हुनरमंद बनाएगी सरकार, अब थर्ड जेंडर की भी होगी गणना
किन्नरों को हुनरमंद बनाएगी सरकार, अब थर्ड जेंडर की भी होगी गणना

नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। देश में अब तक हाशिए पर रहे किन्नरों ( ट्रांसजेंडर ) की सरकार ने सुध ली है। इनके कल्याण के लिए वह एक व्यापक योजना (स्कीम) पर काम कर रही है। जो इस समाज को शैक्षणिक मजबूती देने के साथ ही स्वास्थ्य और रोजगार की सुविधा भी मुहैया कराएगी। यह योजना बुजुर्गों या दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं जैसी होगी। फिलहाल इसके जल्द लॉन्च होने की उम्मीद है।

कौशल विकास पर खासा फोकस 

खास बात यह है कि सरकार की ओर से किन्नरों के लिए शुरू होने वाली यह कोई पहली योजना होगी। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के मुताबिक योजना का मसौदा तय हो गया है। राज्यों से चर्चा चल रही है। कोशिश है कि इसे जल्द से जल्द लॉन्च कर दिया जाए। फिलहाल योजना पर जिस बात को लेकर सबसे ज्यादा जोर है, वह समाज की मुख्यधारा से वंचित इस वर्ग को सम्मान दिलाना है। यही वजह है कि योजना में कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) पर खासा फोकस किया गया है।

किन्नरों को हुनरमंद बना दिया जाए

मंत्रालय का मानना है कि इन्हें (किन्नरों) हुनरमंद बना दिया जाए, तो इनकी समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी। साथ ही समाज में इनकी अहमियत भी बढ़ेगी। मौजूदा समय में इस वर्ग से जुड़े बड़ी संख्या में लोग भीख मांगने या फिर नाच-गाकर कमाने जैसे कामों में लगे हैं।

कब शुरू हुई कवायद

किन्नर समाज के उत्थान को लेकर सरकार ने योजना पर उस समय काम शुरू किया, जब इस समाज ने सरकार के सामने अपनी मांग रखी। साथ ही इसे लेकर न्यायालय का भी दरबाजा खटखटाया। इसके बाद तो सरकार को अपनी चूक का अहसास हुआ। सरकार अब इन्हें लेकर एक्ट भी लाने की तैयारी में है। इससे जुड़ा बिल फिलहाल संसद में लंबित है। संसद के मानसून सत्र में इस बिल को पेश किया था।

अगली जनगणना में थर्ड जेंडर की भी होगी गणना

मंत्रालय के मुताबिक, देश में मौजूदा समय में किन्नरों की संख्या का कोई सही डाटा उपलब्ध नहीं है। बावजूद इसके देश भर में इनकी पांच लाख से ज्यादा संख्या का अनुमान है। सही संख्या न होने की वजह अब तक जनगणना में थर्ड जेंडर (किन्नर) जैसी व्यवस्था का न होना था। जनगणना मे अबतक स्त्री और पुरूष जैसे विकल्प ही है। लेकिन सरकार ने फैसला लिया है कि देश में अगली जो जनगणना होगी, उनमें स्त्री, पुरुष के साथ तीसरा विकल्प थर्ड जेंडर का भी रहेगा।

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