बड़े इंटरनेट मीडिया का मतलब 50 लाख यूजर, सरकार ने जारी किया इंटरमीडियरी कैटेगरी तय करने का पैमाना

सरकार के दिशानिर्देशों के तहत इंटरनेट मीडिया कंपनियों को सरकार या अदालत के निर्देश के बाद किसी आपत्तिजनक कंटेंट को 36 घंटे के भीतर हटाना होगा। साथ ही शिकायत मिलने पर नग्नता फैलाने वाली या किसी की छेड़छाड़ की हुई तस्वीर को 24 घंटे में हटाना होगा।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 07:56 PM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 08:05 PM (IST)
बड़े इंटरनेट मीडिया का मतलब 50 लाख यूजर, सरकार ने जारी किया इंटरमीडियरी कैटेगरी तय करने का पैमाना
इससे नई कंपनियों को मिलेगा मौका ।

नई दिल्ली, प्रेट्र। सरकार ने बड़ी इंटरनेट मीडिया कंपनियों को परिभाषित करने का मानक तय कर दिया है। नई परिभाषा के तहत 50 लाख या इससे ज्यादा यूजर वाली कंपनियों को सिग्निफिकेंट इंटरनेट मीडिया इंटरमीडियरी माना जाएगा। इससे कम यूजर वाली कंपनियां इंटरनेट मीडिया इंटरमीडियरी मानी जाएंगी, लेकिन उन्हें महत्वपूर्ण की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा। महत्वूपर्ण या बड़ी इंटरनेट मीडिया कंपनियों को कंटेंट की निगरानी और शिकायतों पर कार्रवाई के लिए सरकार की ओर से किए गए कुछ सख्त प्रविधानों का पालन करना होगा।

गुरुवार इंटरनेट मीडिया के कंटेंट पर लगाम के लिए दिशानिर्देश जारी करते समय ही सरकार ने बताया था कि यूजर की संख्या के आधार पर इन कंपनियों को दो श्रेणियों में बांटा जाएगा। साथ ही स्पष्ट किया था कि महत्वपूर्ण की श्रेणी में रखी गई कंपनियों को दिशानिर्देशों के तहत कुछ अतिरिक्त प्रविधानों का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा। इस वर्गीकरण का पैमाना बाद में बताने के लिए कहा गया था, जिसे अब स्पष्ट कर दिया गया है।

नए नियमों के तहत सिग्निफिकेंट इंटरनेट मीडिया इंटरमीडियरी को शिकायतों के निपटारे के लिए चीफ कंप्लायंस ऑफिसर, नोडल कांटैक्ट पर्सन और रेजिडेंट ग्रिवांसेज ऑफिसर नियुक्त करना होगा। तीनों अधिकारी भारत में ही रहेंगे। साथ ही इन कंपनियों को शिकायतों पर की गई कार्रवाई के लिए हर महीने कंप्लायंस रिपोर्ट भी तैयार करनी होगी।

सरकार के दिशानिर्देशों के तहत इंटरनेट मीडिया कंपनियों को सरकार या अदालत के निर्देश के बाद किसी आपत्तिजनक कंटेंट को 36 घंटे के भीतर हटाना होगा। साथ ही शिकायत मिलने पर नग्नता फैलाने वाली या किसी की छेड़छाड़ की हुई तस्वीर को 24 घंटे में हटाना होगा। सरकार या अदालत की ओर से पूछे जाने पर कंपनियों को किसी पोस्ट को मूलरूप से तैयार करने वाले के बारे में भी बताना होगा। अगर कोई कंटेंट विदेश से तैयार कर इंटरनेट मीडिया पर डाला गया है, तो कंपनियों को यह बताना होगा कि भारत में सबसे पहले उसे किसने शेयर किया। सरकार ने ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफार्म और डिजिटल न्यूज मीडिया के लिए भी दिशानिर्देश जारी किए हैं। इससे ओटीटी पर परोसे जाने वाले कंटेंट पर निगरानी संभव होगी। साथ ही, डिजिटल न्यूज मीडिया में फर्जी और भ्रामक तथ्यों वाली खबरों पर लगाम लगेगी।

इन चीजों को लेकर होगी सख्ती 

- सरकार के नए दिशानिर्देशों के तहत बड़ी इंटरनेट मीडिया कंपनियों के लिए किए गए हैं अतिरिक्त प्रविधान

- करनी होगी चीफ कंप्लायंस ऑफिसर, नोडल कांटैक्ट पर्सन और रेजिडेंट ग्रिवांसेज ऑफिसर की नियुक्ति

- शिकायतों पर की गई कार्रवाई को लेकर हर महीने कंप्लायंस रिपोर्ट तैयार करने की भी जिम्मेदारी

- कोर्ट या सरकार के कहने पर 36 घंटे के भीतर हटाना होगा किसी भी तरह का विवादास्पद कंटेंट

- शिकायत मिलने के 24 घंटे में हटाएंगे नग्नता फैलाने वाले या किसी की तस्वीर से छेड़छाड़ की हुई पोस्ट

नई कंपनियों को मिलेगा मौका

अभी भारत में वाट्सएप के 53 करोड़, यूट्यूब के 44.8 करोड़, फेसबुक के 41 करोड़, इंस्टाग्राम के 21 करोड़ और ट्विटर के 1.75 करोड़ यूजर हैं। स्पष्ट है कि जहां नई परिभाषा से लगभग सभी बड़ी इंटरनेट मीडिया कंपनियां दिशानिर्देशों के दायरे में आ जाएंगी, वहीं इस क्षेत्र में नई कंपनियों के लिए राह आसान रहेगी। नई कंपनियों पर शुरुआत में ही बहुत ज्यादा नियमों के अनुपालन का बोझ नहीं रहेगा, जिससे उन्हें बढ़ने का मौका मिलेगा।

नया नहीं है अंतरिम ब्लॉकिंग का दिशानिर्देश

इस बीच, सरकार ने स्पष्ट किया है कि गुरुवार को जारी किए गए इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स) रूल्स, 2021 के तीसरे भाग का 16वां नियम नया नहीं है। इस नियम के तहत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव को आपात स्थिति में किसी कंटेंट को ब्लॉक करने का अंतरिम निर्देश जारी करने का अधिकार दिया गया है। कुछ रिपोर्टो में इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर लगाम की कोशिश बताया जा रहा है। सरकार ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आइटी मंत्रालय के तहत 2009 से इस तरह का अधिकार मंत्रालय के सचिव को है। नई व्यवस्था में यह अधिकार इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आइटी मंत्रालय के सचिव के स्थान पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव को दिया गया है।

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