Global Warming News: ग्लोबल वार्मिग आज हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या
पेरिस समझौता दिसंबर 2015 में पेरिस में पहली बार ग्लोबल वार्मिग से निपटने और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने को लेकर दुनियाभर के देशों में सहमति बनी थी। आइपीसीसी जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में हो रहे शोध पर नजर रखता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। ग्लोबल वार्मिग आज हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या है। मानवता और पूरी धरती के अस्तित्व का यह दुश्मन भले ही अदृश्य हो, लेकिन इसके प्रतिकूल असर को स्पष्ट देखा जा सकता है। हालांकि कुछ लोग सबकुछ देखते हुए भी न देखने का अभिनय कर रहे हैं। धरती गर्म हो रही है। मौसम चक्र गड़बड़ा गया है। जिसका नतीजा बड़ी तबाही के रूप में सामने आ रहा है। उत्तराखंड में पिछले 36 वषों की सबसे अधिक बारिश हो जाती है। ऐसी ही कुछ स्थिति केरल में भी होती है। सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया का कोई कोना नहीं हैं जहां मौसम की ये बेतरतीबी दिख न रही हो।
दरअसल ये सब इंसानी लालच का प्रतिफल है। विकास की भूख हमारी इतनी बढ़ गई कि हम जरूरत और लालसा का भेद भुला बैठे। धरती के संसाधनों का हमने जमकर दोहन किया। वायुमंडल में इतना उत्सर्जन किया कि ग्लोबल वार्मिग की हालत पैदा हो गई। जलवायु में परिवर्तन शुरू हुआ तो कोई मानने को तैयार नहीं। तभी आइपीसीसी की एक रिपोर्ट ने सच्चाई बताई।
इसे कैसे रोका जाए, इस पर अंतरराष्ट्रीय विमर्श शुरू हुआ। मंच सजने लगे। उत्सर्जन कटौती को लेकर देशों के बीच कई संधियां हुईं, लेकिन मामला तार्किक अंजाम तक नहीं पहुंच पाया। विकासशील और गरीब देशों का मानना है कि विकसित देशों ने विकास के नाम पर दौ सौ साल तक पर्यावरण की मनमानी बर्बादी की। अब जब विकास हमारी जरूरत है तो हमको उत्सर्जन का पाठ पढ़ाया जा रहा है। इस गतिरोध को दूर करने के लिए पेरिस जलवायु संधि में रास्ता निकाला गया कि सभी देश स्वैच्छिक रूप से उत्सर्जन में कटौती की घोषणा करेंगे। अमीर देश गरीब देशों के विकास के लिए हरित तकनीक और आर्थिक रूप से मदद करेंगे।
यह फैसला भी किसी कारगर अंजाम तक पहुंचता नहीं दिख रहा है। लिहाजा अब एक और यूएन क्लाईमेट चेंज क्रांफ्रेस (सीओपी-26) का आयोजन ब्रिटेन के ग्लासगो में तय है। 31 अक्टूबर से 12 नवंबर तक चलने वाले इस जलवायु महाकुंभ में पेरिस समझौते के अधूरे प्रावधानों को तार्किक अंजाम तक पहुंचाने की बात होगी। दुनिया में कैसे जीवाश्म ईंधनों की जगह हरित और स्वच्छ ईंधन लाया जाए, जैसे मामलों पर निर्णय लिया जाएगा। हालांकि ये सम्मेलन शुरू होने से पहले ही विवादों में घिर चुका है। लेकिन मानवता के लिए भगवान दुनिया के नीति-नियंताओं को सद्बुद्धि दें कि धरती को बचाने के लिए वे सब एकजुट हों और सर्वसम्मति से एक राय बनाएं।