प्रतिकूल भावनाओं पर ऐसे पायें नियंत्रण, नकारात्मक दृष्टिकोण से मिल जाएगी निजात

जब आप शांतिपूर्वक क्रियाशील होते हैं तो आप कुछ भी करने की ठान लेते हैं। आप उसे पूरा कर सकते हैं क्योंकि मन निर्मल है। शांत सकारात्मक मानसिक क्रियाशीलता नवजीवन देने वाली होती है। ठिन परिश्रम से डरें नहीं। इससे कभी किसी की हानि नहीं हुई।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Thu, 11 Mar 2021 12:57 PM (IST) Updated:Thu, 11 Mar 2021 12:57 PM (IST)
प्रतिकूल भावनाओं पर ऐसे पायें नियंत्रण, नकारात्मक दृष्टिकोण से मिल जाएगी निजात
नकारात्मक भावनाओं के खिलाफ जिंदगी में काम करना जरूरी। (फोटो: दैनिक जागरण/प्रतीकात्मक)

नई दिल्ली, जेएनएन। जब आप किसी खास मनोदशा यानी मूड से ग्रस्त होते हैं तो आप वैसे व्यक्ति नहीं होते, जैसा आपको होना चाहिए। अगली बार जब आप किसी खास मनोदशा से ग्रस्त हों तो क्यों न अपना विश्लेषण करें। इसके बाद आप देखेंगे कि किस प्रकार स्वेच्छा से, जानबूझकर आप स्वयं को दुखी बना रहे हैं। आपकी संपूर्ण मनोदशा अपने स्पंदनों को आंखों के जरिए प्रकट करती है और जो कोई भी आपको देखता है, उसको वहां उपस्थित नकारात्मकता का आभास हो जाता है। आपकी आंखों में नकारात्मक भावनाएं झलकती देखकर लोग आपसे दूर हो जाते हैं। वे उन असुविधाजनक स्पंदनों से दूर रहना चाहते हैं।

अपनी आंखों से उन मनोदशाओं की झलक को दूर करने से पहले उन्हें आपको अपने मानसिक दर्पण से दूर करना होगा। इस संसार में आप शीशे के मकान में रहते हैं और प्रत्येक व्यक्ति आपको देख रहा है। आप दिखावा नहीं कर सकते, आपको स्वाभाविक जीवन जीना है। आपके सारे अच्छे गुण आपकी मनोदशाओं के द्वारा भीतर ढके पड़े हैं। केवल दूसरे लोग ही आपके व्यवहार को नहीं देख रहे, बल्कि आप भी उनके व्यवहार का अध्ययन कर रहे होते हैं। अपने आसपास के लोगों को लगातार ध्यान से देखते रहने के परिणामस्वरूप आप तुलना करने लग जाते हैं। इसी कारण आप विभिन्न मनोदशाओं से घिर जाते हैं। मनोदशाएं आमतौर पर परिवेश के प्रभावों का परिणाम होती हैं।

कुछ लोग किसी समस्या का सामना करने से बचने के लिए मनोदशाओं का सहारा लेते हैं, पर ऐसी उदासीनता न तो दुखों से छुटकारा है और न ही भावनात्मक सुरक्षा का साधन। इसलिए हर दिन अपना आत्मनिरीक्षण कर अपनी मनोदशा के स्वरूप को समझने का प्रयास करना चाहिए। यदि वह हानिकारक है, तो उसे दूर करना चाहिए।

शायद आप स्वयं को मन की एक उदासीन अवस्था में पाते हैं। आपको चाहे कुछ भी सुझाव दिया जाए, आप उसमें रुचि नहीं लेते। ऐसी अवस्था में कुछ सकारात्मक रुचि उत्पन्न करने के लिए सचेत प्रयत्न की आवश्यकता होती है। उदासीनता से सावधान रहें, जो आपकी इच्छाशक्ति को बलहीन करके आपके जीवन की प्रगति पर रोक लगा देती है। यदि आपको लगता है कि आप कभी स्वस्थ नहीं होंगे तो तुरंत जीवनयापन के नियमों का पालन करना चाहिए, जो एक स्वस्थ, क्रियाशील और नैतिक जीवन की ओर ले जाए। कठिन परिश्रम से डरें नहीं। इससे कभी किसी की हानि नहीं हुई। कुछ लोग कठिन परिश्रम करते हैं, पर मानसिक रूप से क्रियाशील नहीं होते। रचनात्मक कार्य को भार न मानें, तनाव और अधीरता के साथ प्रयास न करें।

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