बच्चों में मोटापे के लिए जिम्मेदार जीन का डॉक्टरों को चला पता, आप भी जानिए

5 से 10 साल के 122 बच्चों पर हुए शोध से पता चला है कि इस जीन के कारण बच्चे अधिक कैलोरी ग्रहण करने लगते हैं। ऐसे में आगे चलकर उनका वजन बहुत बढ़ सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 25 May 2019 01:19 PM (IST) Updated:Sat, 25 May 2019 01:19 PM (IST)
बच्चों में मोटापे के लिए जिम्मेदार जीन का डॉक्टरों को चला पता, आप भी जानिए
बच्चों में मोटापे के लिए जिम्मेदार जीन का डॉक्टरों को चला पता, आप भी जानिए

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। वर्तमान में मोटापा सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन गया है। बच्चे भी इस खतरे का सामना कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कोलंबिया के वैज्ञानिकों ने बच्चों में मोटापे का खतरा बढ़ाने वाले जीन का पता लगा लिया है। उनका कहना है कि विशेष तरह का एफटीओ जीन जिसे सिंगल न्यूक्लियोटाइड पॉलिमोर्फिज्म कहते हैं, बच्चों के खान-पान को प्रभावित करता है। इससे आगे चलकर उनका वजन बढ़ने या मोटापे का शिकार होने का पता लगाया जा सकता है।

5 से 10 साल के 122 बच्चों पर हुए शोध से पता चला है कि इस जीन के कारण बच्चे अधिक कैलोरी ग्रहण करने लगते हैं। ऐसे में आगे चलकर उनका वजन बहुत बढ़ सकता है। वैज्ञानिक माइकल रोसेनबूम ने कहा, ‘हमारी कोशिश बच्चों को मोटापे के खतरे से बचाना है। यदि उनके शरीर या बर्ताव में होने वाले बदलाव का पता पहले चल जाए तो उन्हें मोटापे का शिकार होने से बचाया जा सकेगा।’

क्या है मोटापा?

मोटापा एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक बच्चा अपनी उम्र और समान ऊचाई के सामान्य बच्चों की तुलना में ज्यादा भारी होता है। भारत में हर साल बचपन में मोटापे के करीब एक करोड़ नए मामले सामने आ रहे हैं। इन सभी मामलों में बच्चों को इलाज मिलना मुश्किल है।

कम उम्र में अधिक कैलोरी

बच्चे की उम्र के हिसाब से 30 फीसद कैलोरी पर्याप्त है। जंक फूड एवं पैक्ड फूड में नमक, फैट एवं कोलेस्ट्राल अधिक होता है। उम्र के हिसाब से अधिक मात्रा में कैलोरी शरीर में पहुंचती है, जो धमनियों में जमने लगती है। इसकी वजह से हार्ट और ब्रेन का रक्त संचार प्रभावित होता है। इससे हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

ऐसे हो रहा रिसर्च

ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के 2500 घरों में जाकर भोजन के नमूने लिए गए हैं। उनकी जांच की जा रही है। उन परिवार के 761 सदस्यों के रक्त नमूने भी लिए हैं। जांच में फैट, कोलेस्ट्राल अधिक पाया गया। उन्हें डायबिटीज भी थी।

उम्र के हिसाब से कैलोरी की मात्रा 1000 कैलोरी एक वर्ष के बच्चे को चाहिए प्रतिदिन 100-150 कैलोरी प्रति वर्ष बढ़ती है 2000-2400 कैलोरी 12 वर्ष की उम्र के बाद चाहिए प्रतिदिन (शारीरिक श्रम के हिसाब से घटती-बढ़ती है)

संतुलित भोजन में यह जरूरी प्रोटीन : 15-20 फीसद फैट : 30 फीसद कार्बोहाइड्रेट : 50-55 फीसद इसके अलावा मिनरल, विटामिन एवं फाइबर के लिए चोकर युक्त आटा, हरी सब्जियां एवं मौसमी फल भी जरूरी

05 ग्राम से कम नमक का सेवन करें प्रतिदिन

यह हो रही समस्या हाइपरटेंशन, हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, कोलेस्ट्राल, डायबिटीज, कब्ज

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