कोरोना संक्रमण में ‘गीता’ बनी सहारा, भय और असुरक्षा से विचलित मन का हुआ ‘कल्याण’

भय और असुरक्षा से विचलित मन पुस्तकों में खोज रहा धर्म का मर्म गीता प्रेस की पुस्तकें खूब हुईं डाउनलोड वेबसाइट पर लोड बढ़ा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 21 Sep 2020 09:55 AM (IST) Updated:Mon, 21 Sep 2020 09:57 AM (IST)
कोरोना संक्रमण में ‘गीता’ बनी सहारा, भय और असुरक्षा से विचलित मन का हुआ ‘कल्याण’
कोरोना संक्रमण में ‘गीता’ बनी सहारा, भय और असुरक्षा से विचलित मन का हुआ ‘कल्याण’

गजाधर द्विवेदी, गोरखपुर।

कलिजुग केवल हरि गुन गाहा

गावत नर पार्वंह भव थाहा

रामचरित मानस के उत्तर कांड में गोस्वामी तुलसीदास ने कलियुग का वर्णन किया है - ‘हर तरफ रोग, दुख, भय, मानसिक ताप होगा। तब मानसिक शांति के लिए केवल ईश्वर नाम का ही सहारा होगा। हरि नाम लेने से मनुष्य कष्ट से मुक्ति पा जाएगा।’ यह चौपाई कोरोना संक्रमण काल में चरितार्थ होती दिख रही है।

भय और अशांति से विचलित लोगों का मन कोरोना संक्रमण काल में धर्म का मर्म जानने के लिए धार्मिक पुस्तकों की तरफ तेजी से बढ़ा है। गीताप्रेस के ऑनलाइन विजिटर्स, ऑनलाइन पाठकों की संख्या और अनलॉक शुरू होने के बाद किताबों के मिले ऑर्डर यही बता रहे हैं। हर प्रमुख किताबों की 70 हजार से अधिक अतिरिक्त प्रतियां रखने वाले गीताप्रेस के पास कई पुस्तकों का स्टॉक खत्म हो गया। कई का खत्म होने वाला है।

वेबसाइट पर भी ऑनलाइन पाठकों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऑनलाइन ऑर्डर भी आठ गुना बढ़े हैं। मांग इतनी है कि अभी कल्याण पत्रिका की छपाई ही दो माह पीछे चल रही है। मांग पूरी करने के लिए छपाई का समय बढ़ाने पर विचार चल रहा है।

भय और असुरक्षा से विचलित मन पुस्तकों में खोज रहा धर्म का मर्म, गीता प्रेस की पुस्तकें खूब हुईं डाउनलोड, वेबसाइट पर लोड बढ़ा ऑनलाइन ट्रैफिक (14 सितंबर तक अद्यतन आंकड़े, अप्रैल का आंकड़ा नहीं है।)

लॉकडाउन का भी असर : 22 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन के कारण गीताप्रेस बंद रहा। जून में चरणबद्ध अनलॉक शुरू हुआ तो शाहपुर क्षेत्र (गोरखपुर) में कोरोना मरीज अधिक मिलने के कारण पुलिस की बंदी रही। ऐसे में पुस्तकों की छपाई बीस फीसद कम रही। मासिक पत्रिका कल्याण का भी प्रकाशन दो माह देरी से है। अभी तक अक्टूबर का अंक आ जाना चाहिए था, लेकिन अगस्त का अंक छप रहा है। प्रबंधन मांग पूरी करने के लिए छपाई का समय भी बढ़ा सकता है।

तीन लाख पुस्तकों का ऑर्डर लंबित : अनलॉक के बाद दुकानें खुलीं तो गीताप्रेस की पुस्तकों की मांग बढ़ी। मोटे अक्षरों वाली रामचरित मानस, गीता और सुंदर कांड मूल की प्रतियां नहीं बची हैं। ऑनलाइन ऑर्डर, 2500 थोक-फुटकर विक्रेताओं और प्रेस के 20 निजी बिक्री केंद्रों से तीन लाख पुस्तकों के मिले ऑर्डर लंबित हैं। 50 रेलवे स्टेशनों पर मौजूद स्टाल खुलने पर यह मांग और बढ़ेगी।

इनका स्टॉक खत्म, जल्द ही पूरी की जाएगी मांग श्रीरामचरितमानस श्रीमद्भगवदगीता शिव पुराण सुंदरकांड हनुमान चालीसा श्रीमद्भागवत पुराण

गीताप्रेस के उत्पाद प्रबंधक लालमणि तिवारी ने बताया कि संकट के समय व्यक्ति धर्म का आश्रय लेता है। धार्मिक पुस्तकें इसका माध्यम बनती हैं। कोरोना काल में भी ऐसा हुआ और गीताप्रेस की पुस्तकों की मांग बढ़ी। बंदी के दौरान धीमी गति से छपाई स्टॉक खत्म होने का कारण बनी और आपूर्ति नहीं हो पा रही है। कल्याण के अगस्त अंक की छपाई चल रही है। अन्य पुस्तकों की छपाई के लिए समय बढ़ाने पर विचार चल रहा है।

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