भावनाओं पर लगाम मत लगाइए और ईमोजी की शरण में आइए, ये हैं हर सुख-दुख की पहचान

किसी को हैलो बोलना हो या किसी पर प्‍यार जताना हो या फिर गुस्‍सा ही होना हो इन सभी को बेहद खूबसूरती के साथ सामने लाकर इमोजी ने लोगों का काफी साथ दिया है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 09:36 AM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 09:36 AM (IST)
भावनाओं पर लगाम मत लगाइए और ईमोजी की शरण में आइए, ये हैं हर सुख-दुख की पहचान
भावनाओं पर लगाम मत लगाइए और ईमोजी की शरण में आइए, ये हैं हर सुख-दुख की पहचान

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। भावनाओं को व्यक्त करने का तरीका बदल गया है। कभी आमने-सामने भावनाओं का आदान प्रदान होता था, फिर दूरियां बढ़ीं तो लम्बे समय तक पत्रों ने यह भूमिका निभाई, फिर फोन के जरिए लोग एक दूसरे की भावनाओं को समझने लगे। अब दौर ऐसा है, जब लोगों के पास न पत्र लिखने का वक्त है और न ही फोन करने का। लिखने और कहने के अलावा अपनी बात दूसरों तक पहुंचाने का हुनर भला कौन रखता है। शायद यही सोच ईमोजी के पदार्पण का कारण बनी होगी। आप सुखी हैं, दुखी हैं, किसी को केक खिलाना चाहते हैं या किसी की बात पर खिलखिलाकर हंसना चाहते हैं, इन सारी भावनाओं को व्यक्त करने का बहुत आसान सा तरीका है, ईमोजी। इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म्‍स पर प्रयोग की जाने वाली ईमोजी की संख्या वैश्विक स्तर पर लगातार बढ़ती रही है। स्टेटिस्टा के मुताबिक, इस साल भी 117 नए ईमोजी जारी किए जाएंगे, जिसके बाद इनकी संख्या बढ़कर 3,136 हो जाएगी। इसलिए भावनाओं पर लगाम मत लगाइए और ईमोजी की शरण में आइए।

इस साल मिलेंगी 117 नई ईमोजी

यूनिकोड की ईमोजी सूची में हर साल सैंकड़ों की संख्या में ईमोजी शामिल होती हैं। यह साल भी अपवाद नहीं है। यूनिकोड के मुताबिक, वह इस सूची में कुछ और ईमोजी जोड़ने के लिए तैयार है। 2020 में बबल टी, प्लेकार्ड और ट्रांसजेंडर फ्लैग्स जैसी 117 नई ईमोजी शामिल की जानी हैं। दुनिया में हर साल नई ईमोजी को पेश किया जाता है। 2019 में भी ऐसी 230 नई ईमोजी को जोड़ा गया था। इसमें मंदिर और साड़ी जैसी ईमोजी भी शामिल थी। जिसे भारत में काफी पसंद किया गया था।

इस तरह शुरू हुआ ईमोजी का सफर

लोगों के फोन और उनके सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म्‍स पर हर वक्त हाजिर रहने वाली ईमोजी का यूनिकोड कंर्सोिटयम द्वारा 1995 से समन्वय किया जा रहा है। पहली बार 76 ईमोजी को अपनाया गया। यह कंर्सोिटयम 1991 से इलेक्ट्रॉनिक टेक्स्ट प्रोसेसिंग की कैरेक्टर इंवेंट्री की देखरेख कर रहा है। साथ ही अलग-अलग प्रतीकों और पात्रों के लिए मानक निर्धारित करता है। ईमोजी को भले ही अलग-अलग प्‍लेटफार्म्‍स पर समान रूप से एनकोडेड किया गया हो, लेकिन वे स्टाइल प्रदान करने वालों के बीच भिन्न-भिन्न हो सकती हैं।

शिगेटाका कुरीता को माना जाता है आविष्कारक

भले ही यूनिकोड लिस्टिंग पहले से ईमोजी के बारे में बताती है। हालांकि इंटरफेस डिजाइनर शिगेटाका कुरीता को आधुनिक ईमोजी का अग्रदूत माना जाता है। उन्होंने एक जापानी फोन ऑपरेटर के लिए 1999 में 176 ईमोजी का आविष्कार किया था। इस अवधारणा को जापान में काफी लोकप्रियता हासिल हुई। 2010 तक यूनिकोड ने एक हजार ईमोजी को बड़े पैमाने पर लांच किया और देखते ही देखते दुनिया इनकी दीवानी हो गई। 2015 से अलग-अलग त्वचा के रंग की ईमोजी उपलब्ध हैं।

70 करोड़ ईमोजी का रोजाना प्रयोग

एक अनुमान के मुताबिक, अकेले फेसबुक पोस्ट्स के माध्यम से हर दिन 70 करोड़ से अधिक ईमोजी का उपयोग किया जाता है। सोशल नेटवर्क के मुताबिक, नए साल की पूर्व संध्या पर ईमोजी का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है। फेसबुक और ट्विटर पर सबसे लोकप्रिय ईमोजी हंसी के दौरान आने वाले आंसुओं की है। वहीं इंस्टाग्राम पर सबसे ज्यादा लोग दिल की ईमोजी का इस्तेमाल करते हैं।

(स्नोत: यूनिकोड कंस्र्टोिटयम, ईमोजीपीडिया)

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