97 निगरानी केंद्रों में से 68 पर स्नान लायक हुई गंगा, गुणवत्ता में 2014 के बाद हुआ महत्वपूर्ण सुधार
गंगा नदी के जल की गुणवत्ता में 2014 की तुलना में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने बताया कि बीओडी निगरानी वाले 53 स्थलों में 32 स्थानों पर 2014 में स्नान की प्राथमिक जल गुणवत्ता मानदंड के अनुरूप थे।
नई दिल्ली, पीटीआइ। गंगा नदी के जल की गुणवत्ता में 2014 की तुलना में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। दरअसल, नदी के पूरे प्रवाह क्षेत्र में घुलनशील आक्सीजन का स्तर निर्धारित न्यूनतम स्तर से अधिक है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने एक साक्षात्कार में कहा कि जैव-रसायन आक्सीजन मांग (बीओडी) निगरानी वाले 53 स्थलों में 32 स्थानों पर 2014 में स्नान की प्राथमिक जल गुणवत्ता मानदंड के अनुरूप थे। वहीं, 2021 में कुल निगरानी केंद्र बढ़ कर 97 हो गए, जिनमें 68 स्थान स्नान के लिए बीओडी मानदंड का अनुपालन करने वाले पाए गए।
बीओडी, जीवाणु और अन्य सूक्ष्म जीवों द्वारा उपयोग किए जाने वाले आक्सीजन की मात्रा का प्रतिनिधित्व करती है। इसकी मात्रा जितनी अधिक होगी, नदी की धारा में उतनी ही तेजी से आक्सीजन की मात्रा घटेगी। इसका मतलब होगा कि जलीय जीवन के लिए कम मात्रा में आक्सीजन उपलब्ध है।
मिश्रा ने कहा कि गंगा नदी के जल में घुली हुई आक्सीजन की मात्रा बेहतर हुई है। उन्होंने कहा कि इस समय गंगा के पूरे प्रवाह क्षेत्र में जल में घुली हुई आक्सीजन (डीओ) की मात्रा पांच मिलीग्राम प्रति लीटर के निर्धारित न्यूनतम स्तर से कहीं अधिक है। नदी जल गुणवत्ता 2014 और 2021 के बीच बेहतर प्रदशित हुई है।
मिश्रा ने कहा कि गंगाजल की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए उठाए गए कदमों में प्रतिष्ठानों द्वारा प्रदूषण स्त्रोतों का नियंत्रण या गंगा की मुख्यधारा और सहायक नदियों के तटों पर स्थित शहरों में दूषित जल शोधन संयंत्र का उन्नयन, शवदाह गृहों का निर्माण, तलछट की सफाई, नदी तट पर व बाढ़ के मैदान में ठोस कूड़ा प्रबंधन तथा गंगा नदी में गिरने वाले नालों में कचरा गिरने से रोकना आदि शामिल है।
मिश्रा ने कहा कि इन परियोजनाओं के उल्लेखनीय नतीजे आए हैं और आने वाले समय में गंगाजल की गुणवत्ता में आगे भी सुधार होगा, क्योंकि कई परियोजनाएं कार्यान्वयन के चरण में हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन का प्रयास है कि नदी के समूचे प्रवाह क्षेत्र में इसे स्नान के लायक बनाया जाए। उन्होंने कहा कि गंगा को स्वच्छ करना एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। कोरोना के चलते लगाए गए लाकडाउन के दौरान गंगाजल की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ था।