छत्तीसगढ़ में घर वापसी अभियान के तहत पुनर्वास नीति से प्रभावित चार नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

नक्सलियों की खोखली विचारधारा से तंग आकर और शासन की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर नक्सलियों के दरभा डिवीजन के मलांगीर एरिया कमेटी में सक्रिय रहे नक्सली मोटू मरकाम ललिता तामो बामन राम कुंजाम तथा भीमा मरकाम सभी जनमिलिशिया सदस्य निवासी मड़कामीरास ने किरंदुल में आत्मसमर्पण कर दिया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 09:22 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 09:22 PM (IST)
छत्तीसगढ़ में घर वापसी अभियान के तहत पुनर्वास नीति से प्रभावित चार नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
शासन की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर चार नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

दंतेवाड़ा, राज्य ब्यूरो। दंतेवाड़ा जिले में चल रहे लोन वर्राटू (घर वापसी) अभियान के तहत शनिवार को चार नक्सलियों ने एसपी अभिषेक पल्लव के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। इन पर विभिन्न थानों में कई मामले दर्ज हैं।

शासन की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर चार नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

एसपी डाॅ. अभिषेक पल्लव ने बताया कि नक्सलियों की खोखली विचारधारा से तंग आकर और शासन की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर नक्सलियों के दरभा डिवीजन के मलांगीर एरिया कमेटी में सक्रिय रहे नक्सली मोटू मरकाम, ललिता तामो, बामन राम कुंजाम तथा भीमा मरकाम सभी जनमिलिशिया सदस्य निवासी मड़कामीरास ने किरंदुल में आत्मसमर्पण कर दिया है।

आत्मसमर्पित नक्सलियों का आइइडी ब्लास्ट कर वाहन उड़ाने समेत कई घटनाओं में हाथ

इन नक्सलियों का बीते दिन चोलनार में आइइडी ब्लास्ट कर वाहन उड़ाने समेत कई घटनाओं में हाथ रहा है। सभी नक्सलियों को शासन के पुनर्वास नीति के तहत लाभान्वित किया जाएगा। उन्हें प्रोत्साहन राशि प्रदान किया गया। साथ ही कोविड वैक्सीनेशन भी करवाया जा रहा है।

नक्सलियों ने ढहाए स्कूलों को ग्रामीणों ने फिर बनाए

छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले के कुआकोंडा ब्लाक के नहाड़ी गांव में ग्रामीणों ने बांस की मदद से उस स्कूल को नया स्वरूप दे दिया है, जिसे नक्सलियों ने साल 2007 में ढहा दिया था। यह सलवा जुडूम का दौर था। नक्सली भयभीत थे कि उनके इलाके के गांवों में स्कूलों के ही पक्के भवन हैं। इन भवनों में सुरक्षा बलों के बैरक बनाए जा सकते हैं।

एक दशक तक बच्चों की पढ़ाई नहीं हो सकी

दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर जिले के 186 पक्के स्कूल भवनों को ध्वस्त कर दिया था। इसके बाद नहाड़ी के स्कूल के बच्चों को हितावर गांव में स्थानांतरित कर दिया गया, लेकिन ग्रामीण बच्चों को वहां भेजने के लिए तैयार नहीं थे। इसके चलते एक दशक तक यहां के बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाई।

स्कूल भवन बनकर तैयार, शिक्षकों का इंतजार

सुरक्षा बलों के बढ़ते दवाब के बाद नक्सलियों के पीछे हटने से अब इलाके में स्कूल खुलने की संभावना नजर आ रही है। इसे देखते नहाड़ी के ग्रामीणों ने अपने संसाधन और खर्च पर स्कूल भवन तैयार कर लिया है। उनकी इच्छा है कि जल्द से जल्द यहां शिक्षक आएं, ताकि उनके बच्चे भी शिक्षित हो सकें।

ग्रामीण बच्चों के पढ़ाई का बंदोबस्त करने में जुटे

प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद स्कूल खोलने का विकल्प तलाशा जाने लगा। इससे ग्रामीण इतने उत्साहित हैं कि अपने संसाधनों से खुद ही स्कूल के भवन बना रहे हैं। प्रशासन ने जिला खनिज निधि मद से ऐसे स्कूलों में ज्ञानदूत नियुक्त किये हैं। स्थानीय युवकों को ही ज्ञानदूत बनाया जा रहा है, ताकि बच्चों की शिक्षा में कोई व्यवधान न आए। यह सब तैयारी हुई तो कोरोना ने स्कूल बंद करा दिए। अब नहाड़ी, ककाड़ी जैसे तमाम गांवों में स्कूल बनाकर ग्रामीण बच्चों के पढ़ाई का बंदोबस्त करने में जुटे हैं।

chat bot
आपका साथी