देश के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा- चीन को रोकना है तो 'प्रतिरोधक क्षमता' विकसित करे भारत

भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और रणनीतिक मामलों के जानकार शिवशंकर मेनन ने कहा है कि अगर भारत चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर रोकना चाहता है तो उसे प्रतिरोधक क्षमता विकसित करनी होगी। उन्होंने कई बातें कहीं हैं।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 08:33 AM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 08:33 AM (IST)
देश के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा- चीन को रोकना है तो 'प्रतिरोधक क्षमता' विकसित करे भारत
शोर मचाने और अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों से कुछ नहीं होगा- मेनन। (फोटो: फाइल)

नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत अगर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की हरकतों को रोकना चाहता है और घुसपैठ कर सीमा बदलने की चीनी कोशिश पर लगाम लगाना चाहता है तो उसे प्रतिरोधक क्षमता विकसित करनी होगी। यह बात पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ शिवशंकर मेनन ने कही है। इंडियन वूमेंस प्रेस कॉ‌र्प्स द्वारा आयोजित ऑनलाइन चर्चा में मेनन ने कहा, शोर मचाने और अंतरराष्ट्रीय गठबंधन तैयार करने से कुछ नहीं होने वाला। इन कोशिशों से चीन की हरकतें नहीं रुकने वालीं। चीन को रोकने के लिए भारत को खुद मजबूत होना होगा जिससे पड़ोसी देश को महसूस हो कि वह सीमा पर स्थिति बदलने में कामयाब नहीं हो पाएगा। 

मेनन ने कहा कि किसी तरह से संयुक्त राष्ट्र में घुसपैठ की निंदा का प्रस्ताव पारित करा लेने से भी कुछ नहीं होने वाला। जमीन पर हालात जस के तस रहेंगे। अगर हम एलएसी पर यथास्थिति बनाए रखना चाहते हैं तो हमें अपनी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना होगा। वह कुछ वैसी ही होनी चाहिए जो भारत ने अगस्त में पैंगोंग लेक इलाके में दर्शाई थी। भारत के ऊंचाई वाले इलाकों में पहुंचते ही चीन के तेवर ढीले पड़ गए थे और वह पैंगोंग के दक्षिणी किनारे से पीछे हट गया था।

मेनन ने कहा, भारत और चीन के संबंधों को व्यापक स्वरूप में देखे जाने की जरूरत है। अगर हम शांति और स्थिरता की बात करेंगे तो हमें समग्र रूप में रिश्तों को देखना होगा। तब हमें 2020 के तथ्यों को देखना होगा। तब हम कैसे इस तथ्य की अनदेखी करेंगे कि चीन हमारा सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी है। चालू वर्ष की पहली तिमाही में व्यापार ने जैसा उछाल मारा है, उसे कैसे भूल सकते हैं? भले ही वह चीन से बढ़े मूल्य पर मेडिकल उपकरणों और दवाओं के कच्चे माल की आमद के चलते हो।

पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा, समस्या वहां पैदा होती है जहां आप मुद्दों में हेरफेर करना शुरू करते हैं। हम देश के अंदर के राजनीतिक हितों को साधने के लिए झूठ बोलना शुरू करते हैं। गलत तथ्यों के आधार पर कहते हैं-यह हुआ और यह नहीं हुआ। तब आप जमीनी हकीकत को भूल जाते हैं और यहीं से आप कमजोर होना शुरू हो जाते हो। मुश्किल हालात बनने शुरू हो जाते हैं। 

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