अनिवार्य सेवानिवृत्ति के खिलाफ पूर्व जज की याचिका खारिज, हाई कोर्ट ने दिया था आदेश, सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी कोई राहत

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक पूर्व एडीशनल सेशन जज की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सिफारिश करने के फैसले को खारिज करने की मांग की गई थी।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 09:51 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 09:51 PM (IST)
अनिवार्य सेवानिवृत्ति के खिलाफ पूर्व जज की याचिका खारिज, हाई कोर्ट ने दिया था आदेश, सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी कोई राहत
शीर्ष अदालत का फैसला हरियाणा में तत्कालीन अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजिंदर गोयल की याचिका पर आया

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक पूर्व एडीशनल सेशन जज की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सिफारिश करने के फैसले को खारिज करने की मांग की गई थी। हाई कोर्ट ने जज के खाते से पर्याप्त मात्रा में धन जमा करने और निकासी करने के साक्ष्य पाए थे।

शीर्ष अदालत का फैसला पूर्व एडीशनल सेशन जज की याचिका पर आया

इस मामले में शीर्ष अदालत का फैसला हरियाणा में तत्कालीन अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजिंदर गोयल की याचिका पर आया, जिसमें उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ द्वारा 14 दिसंबर, 2020 को उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सिफारिश खारिज करने की मांग की थी।

पूर्व जज ने हरियाणा के राज्यपाल के आदेश को दी थी चुनौती

पूर्व जज ने हरियाणा के राज्यपाल के पांच जनवरी, 2021 के आदेश को भी चुनौती दी थी, जिसमें यह आरोप लगाया गया कि कोर्ट ने इस तथ्य के बावजूद दंडात्मक कार्रवाई की कि सतर्कता/अनुशासनात्मक समिति की दो रिपोर्टो में उन्हें दोषमुक्त कर दिया था।

पीठ ने कहा- इस मामले में अलग राय लेने का कोई कारण नहीं दिखता

जस्टिस उदय उमेश ललित और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने फैसले में कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों के रिकार्ड ये यह दर्शाते हैं कि जमा और पर्याप्त मात्रा में धन निकासी दिखाने वाले कई लेनदेन किए गए। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता है कि पूर्ण न्यायालय ने जो फैसला दिया वह न्यायसंगत नहीं था। हमें इस मामले में अलग राय लेने का कोई कारण नहीं दिखता।

शीर्ष अदालत ने पूर्व जज को अपनी शिकायत हाई कोर्ट के समक्ष ले जाने की सलाह दी थी

शीर्ष अदालत, जिसने पहले पूर्व जज को अपनी शिकायत हाई कोर्ट के समक्ष ले जाने की सलाह दी थी, ने बाद में अनुरोध को यह कहते हुए स्वीकार नहीं किया कि अब तो उसने पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।

जस्टिस ललित ने कहा- याचिका पर सुनवाई कर 27 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखा गया था

फैसला लिखने वाले जस्टिस ललित ने कहा कि याचिका पर सुनवाई कर 27 जुलाई, 2021 को फैसला सुरक्षित रखा गया था। अगले दिन एक आवेदन प्रस्तुत कर याचिकाकर्ता को अपने अधिकार क्षेत्र का उपयोग करते हुए संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता के साथ तत्काल याचिका वापस लेने की अनुमति देने की मांग की गई। चूंकि इस कोर्ट द्वारा दिए गए सुझाव याचिकाकर्ता ने पूर्व में स्वीकार नहीं किए थे इसलिए अब हम उनकी अर्जी को अस्वीकार करते हैं।

गोयल को 2008 में हरियाणा सुपीरियर न्यायिक सेवा में पदोन्नत किया गया था

जो हरियाणा न्यायिक सेवा में 1996 में शामिल हुए गोयल को 2008 में हरियाणा सुपीरियर न्यायिक सेवा में पदोन्नत किया गया था। इसके बाद उनके खिलाफ कई शिकायतें की गईं। उनके खिलाफ बार एसोसिएशन ने भी शिकायत की थी।

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