विदेश सचिव श्रृंगला बोले, 'आकस' का क्वाड के कामकाज पर नहीं होगा कोई असर, दोनों समूहों की प्रकृति समान नहीं

श्रृंगला ने कहा कि क्वाड के सदस्य देशों का हिंद-प्रशांत के प्रति साझा दृष्टिकोण है और वे इस दिशा में काम कर रहे हैं। क्वाड ने मौजूदा कुछ मुद्दों के हल के लिए वैश्विक स्तर पर पहल की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ सकारात्मक व सक्रिय एजेंडा अपनाया है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 10:57 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 11:00 PM (IST)
विदेश सचिव श्रृंगला बोले, 'आकस' का क्वाड के कामकाज पर नहीं होगा कोई असर, दोनों समूहों की प्रकृति समान नहीं
श्रृंगला ने कहा कि 'आकस' तीन देशों के बीच का एक सुरक्षा गठबंधन है

नई दिल्ली, प्रेट्र। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने मंगलवार को कहा कि आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका (आकस, AUKUS) का नया सुरक्षा गठबंधन न तो क्वाड के लिए प्रासंगिक है और न ही गठबंधन के कारण इसके कामकाज पर कोई प्रभाव पड़ेगा। दोनों समान प्रकृति के समूह नहीं हैं। इस विवादास्पद गठबंधन पर भारत की यह पहली प्रतिक्रिया है। क्वाड में भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया शामिल हैं।

श्रृंगला ने कहा कि 'आकस' तीन देशों के बीच का एक सुरक्षा गठबंधन है, वहीं क्वाड एक मुक्त, खुले, पारदर्शी और समावेशी हिंद-प्रशांत के दृष्टिकोण के साथ एक बहुपक्षीय समूह है। 'आकस' समझौते के तहत आस्ट्रेलिया को अमेरिका और ब्रिटेन से परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां बनाने की तकनीक मिलेगी। इस गठबंधन को दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामता का मुकाबला करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।

फ्रांस ने नए गठबंधन पर नाराजगी जताई है क्योंकि इसके परिणामस्वरूप उसने आस्ट्रेलिया के साथ 12 पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण का अरबों डालर का करार खो दिया। फ्रांस गठबंधन में शामिल नहीं किए जाने से भी नाराज है। चीन ने भी 'आकस' के गठन की आलोचना की है।

श्रृंगला ने कहा कि क्वाड के सदस्य देशों का हिंद-प्रशांत के प्रति साझा दृष्टिकोण है और वे इस दिशा में काम कर रहे हैं। क्वाड ने मौजूदा कुछ मुद्दों के हल के लिए वैश्विक स्तर पर पहल की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ सकारात्मक व सक्रिय एजेंडा अपनाया है। क्वाड के तहत पहलों को हिंद-प्रशांत क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है।

'आकस' आस्ट्रेलिया के लिए परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुिब्बयों के बेड़े को विकसित करने से संबंधित है। ऐसे में परमाणु प्रसार की आशंकाओं के बारे में पूछे जाने पर श्रृंगला ने इस मामले में कैनबरा की स्थिति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, 'मैंने देखा कि आस्ट्रेलिया ने स्पष्ट किया है कि वे एक परमाणु-चालित पनडुब्बी पर काम कर रहे हैं। इसका मतलब है यह परमाणु प्रौद्योगिकी पर आधारित है, लेकिन उस पर कोई परमाणु हथियार नहीं होगा और इसलिए इससे परमाणु प्रसार के संबंध में आस्ट्रेलिया की किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता का उल्लंघन नहीं होगा।'

अमेरिका के साथ भारत के रक्षा सहयोग के बारे में उन्होंने कहा, 'हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। मुझे लगता है कि अमेरिका के साथ अपने रक्षा संपर्क के स्तर से संतुष्ट होने का हर कारण हमारे पास है। यह एक साझेदारी है, यह जरूरतों की पारस्परिकता पर आधारित है।'

यूएन में फ्रांस व ईरान के विदेश मंत्रियों से मिले जयशंकर

संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्चस्तरीय 76वें सत्र में हिस्सा लेने के लिए न्यूयार्क में मौजूद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को फ्रांस और ईरान के अपने समकक्षों से मुलाकात की। फ्रांस के विदेश मंत्री जीन वाई. ले ड्रियन से मुलाकात में उन्होंने अफगानिस्तान, हिंद-प्रशांत क्षेत्र तथा अन्य समकालिक मुद्दों पर व्यापक चर्चा की। ईरान के विदेश मंत्री एच. अमीर अब्दुल्लाहियान से मुलाकात में उन्होंने द्विपक्षीय सहयोग मजबूत करने पर वार्ता की। सोमवार को न्यूयार्क पहुंचे जयशंकर इस सप्ताह कई सदस्य देशों के अपने समकक्षों से मुलाकात करेंगे और जी-20 बैठक में भाग लेंगे, जिसमें अफगानिस्तान पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। वह जी-4 विदेश मंत्रियों की बैठक में सुरक्षा परिषद सुधार पर भी चर्चा करेंगे।

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