K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का एक सप्ताह में दूसरी बार सफल परीक्षण, चीन और पाक आएंगे मिसाइल की जद में
भारत ने दुश्मन को हराने के लिए अपनी सामरिक क्षमता में विस्तार करते हुए शुक्रवार को दूसरी बार शक्तिशाली के-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है।
विशाखापट्टनम, एएनआइ। भारत ने दुश्मन को हराने के लिए अपनी सामरिक क्षमता में विस्तार करते हुए शुक्रवार को दूसरी बार शक्तिशाली के-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। आंध्र प्रदेश के समुद्री तट से दागी गई इस मिसाइल की रेंज 3,500 किलोमीटर है और यह पनडुब्बी से दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम है। इससे पहले इसका परीक्षण रविवार को किया गया था।
Government Sources: For the second time in the last six days, India, today successfully test-fired the 3,500 km strike range K-4 submarine-launched ballistic missile off the coast of Vishakhapatnam.The DRDO-developed missile was testfired from an underwater platform today morning pic.twitter.com/nerLhPDZqp— ANI (@ANI) January 24, 2020
सरकारी सूत्रों ने बताया कि मिसाइल का परीक्षण दिन के समय समुद्र में पानी के भीतर बने प्लेटफॉर्म से किया गया। इसका विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने किया है। इसे अरिहंत श्रेणी की परमाणु क्षमता से संपन्न पनडुब्बियों में तैनात किया जाना है। परमाणु क्षमता से संपन्न पनडुब्बियों पर तैनाती से पहले भारत इस मिसाइल के अभी और परीक्षण करेगा।
भारतीय नौसेना के पास फिलहाल अरिहंत ही एक ऐसा परमाणु क्षमता वाला पोत है, जो परिचालन में है। के-4 उन दो अंडरवाटर मिसाइलों में से एक है, जिन्हें भारत नौसेना के लिए तैयार कर रहा है। दूसरी मिसाइल का नाम बीओ-5 है और उसकी रेंज 700 किलोमीटर है। परमाणु हमला करने में सक्षम इस मिसाइल की जद में पाकिस्तान, चीन एवं दक्षिण एशिया के कई देश आ गए हैं।
जानिए, क्या होती है बैलेस्टिक मिसाइल
तकनीकी दृष्टिकोण से बैलेस्टिक मिसाइल उस प्रक्षेपास्त्र को कहते हैं जिसका प्रक्षेपण पथ सब ऑर्बिटल बैलेस्टिक पथ होता है। इसका उपयोग किसी हथियार (नाभिकीय अस्त्र) को किसी पूर्व निर्धारित लक्ष्य पर दागने के लिए किया जाता है। यह मिसाइल प्रक्षेपण के प्रारंभिक स्तर पर ही गाइड की जाती है। इसके बाद का पथ आर्बिटल मैकेनिक के सिद्धांतों पर एवं बैलेस्टिक सिद्धांतों से निर्धारित होता है। अभी तक इसे रासायनिक रॉकेट इंजन से छोड़ा जाता था।