जुलाई में 52 फीसद तक बढ़ गए खाद्य तेलों के दाम, इससे पहले भी हुई थी बढ़त
सरकार ने शुक्रवार को संसद में माना कि खाद्य तेलों के औसत दाम में जुलाई के दौरान 52 फीसद तक की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने दाल और खाद्य तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं के बढ़ते दाम को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सरकार ने शुक्रवार को संसद में माना कि खाद्य तेलों के औसत दाम में जुलाई के दौरान 52 फीसद तक की बढ़ोतरी हुई है। खाद्य व उपभोक्ता मामलों के राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि पिछले वर्ष जुलाई के मुकाबले इस वर्ष खाद्य तेलों के दाम में यह बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार ने दाल और खाद्य तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं के बढ़ते दाम को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
सरकार के आंकड़ों के अनुसार जुलाई में पिछले वर्ष समान अवधि के मुकाबले मूंगफली के तेल में 19.24 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। इसी अवधि में सरसों तेल 39.03 फीसद, वनस्पति 46.01 फीसद, सोयाबीन तेल 48.07 फीसद, सूरजमुखी तेल 51.62 फीसद और पाम तेल 44.42 फीसद महंगा हुआ है। ये आंकड़े 27 जुलाई तक के हैं। चौबे के अनुसार खाद्य तेलों के दाम में कमी लाने के लिए सरकार ने पिछले दिनों पाम आयल की कुछ कैटेगरी को कुछ समय के लिए आयात शुल्क से मुक्त कर दिया है।
इससे पहले 5 महीने पहले भी दामों में इजाफा दर्ज किया गया था।लगातार चढ़ रहे सरसों के तेल और रिफाइंड आयल में मामूली कमी के बाद कीमतों ने रफ्तार भरी थी। जहां सरसों का तेल अव्व्ल बैल कोल्हू ब्रांड 145 से 150 रुपये और फॉरच्यून रिफाइंड ऑयल 135 से 140 प्रति लीटर पहुंचा था। वह भी तब जब सरसों की नई फसल की आमद शुरू होने की ओर है। ऐसे में सरसों के तेल का भाव चढ़ना समझ से परे है। कारोबारियों का मानना है कि अभी यह तेजी आगे भी बरकरार रहने वाली है।
थोक कारोबारी विपुल अग्रवाल के मुताबिक, आगे ज्यादा खपत वाले त्योहार हैं। ऐसे में होली तक तेल के भाव कम होने के आसार कम ही हैं। रही बात रिफाइंड ऑयल की तो इसके पीछे बाहर से आने वाले माल का इंपोर्ट कम होने से रिफाइंड ऑयल चढ़ा है।