मोटे अनाज की खेती, खरीद व वितरण प्रणाली के संशोधन पर खाद्य मंत्रालय कर रहा है विचार
केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने जोर देकर कहा कि इन फसलों की उपज की सरकारी खरीद मानक में संशोधन का समय आ गया है। लघु व सीमांत किसानों की मदद के लिए मोटे अनाज की सरकारी खरीद बढ़ाने की सख्त जरूरत है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मोटे अनाज वाली फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार खरीद और वितरण सुनिश्चित करने पर विचार कर रही है। कृषि मंत्रालय के साथ खाद्य मंत्रालय के आला अफसरों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने जोर देकर कहा कि इन फसलों की उपज की सरकारी खरीद मानक में संशोधन का समय आ गया है। लघु व सीमांत किसानों की मदद के लिए मोटे अनाज की सरकारी खरीद बढ़ाने की सख्त जरूरत है। मक्का, ज्वार और बाजरा न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए अच्छा, बल्कि कृषि अर्थशास्त्र में सुधार के लिए भी बेहतर है।
गोयल ने कहा कि मोटे अनाज की खेती व सरकारी खरीद को योजनाबद्ध तरीके से बढ़ाने की जरूरत है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोटे अनाजों को प्रमोट करने पर जोर दिया था। इसकी महत्ता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटे अनाज का वर्ष घोषित किया है।
पिछला स्टॉक खत्म होने के बाद ही दी जा सकती है नई खरीद की अनुमति
खरीद मानक में संशोधन के तहत निर्धारित प्रविधान में कहा गया है कि पिछला स्टॉक खत्म होने के बाद ही नई खरीद की अनुमति दी जा सकेगी। जरूरत के हिसाब से मोटे अनाज को एक से दूसरे राज्यों में ले जाया जा सकता है। कम लागत से अधिक उत्पादन और किसानों की आमदनी को बढ़ाने में सहायक साबित होने वाले मोटे अनाज की खेती मुफीद साबित होगी। कुपोषण की चुनौती से पार पाने में मोटे अनाज की अहम भूमिका है। स्थानीय स्तर पर होने वाली खरीद और वहीं पर उसकी खपत के प्रविधान से ढुलाई की लागत को बचाया जा सकता है। मोटे अनाज वाली कई फसलों की भंडारण मियाद तीन महीने से अधिक होती है।
निर्धारित मानक के अनुसार एजेंसियों को तीन महीने में खरीद करने और फसल कटाई के एक महीने के भीतर खरीद करनी चाहिए। जबकि अधिकतम छह महीने के भीतर खरीदी गई इन फसलों को राशन प्रणाली के मार्फत बेचने की प्रविधान किया गया है।