एलोपैथिक दवाओं पर टिप्पणी करना योग गुरु बाबा रामदेव को पड़ा भारी, रायपुर में FIR दर्ज

शिकायत के अनुसार पिछले एक साल से बाबा रामदेव कथित रूप से चिकित्सकों भारत सरकार भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और अन्य अग्रिम पंक्ति के संगठनों द्वारा कोरोना वायरस संक्रमण के उपचार में उपयोग की जा रही दवाओं के खिलाफ सोशल मीडिया पर झूठी सूचनाओं का प्रचार कर रहे हैं।

By Neel RajputEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 03:20 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 03:20 PM (IST)
एलोपैथिक दवाओं पर टिप्पणी करना योग गुरु बाबा रामदेव को पड़ा भारी, रायपुर में FIR दर्ज
शिकायत में एलोपैथी को लेकर गलत जानकारी फैला रहे रामदेव

रायपुर, पीटीआइ। कोविड-19 संक्रमण के इलाज के लिए डॉक्टरों द्वारा इस्तेमाल की जा रही एलोपैथिक दवाओं को लेकर टिप्पणी करना योग गुरु बाबा रामदेव को भारी पड़ गया है। दवाओं को लेकर गलत जानकारी फैलाने के आरोप में रायपुर पुलिस ने योग गुरु के खिलाफ एक एफआइआर दर्ज की है। जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय यादव ने बताया कि भारतीय चिकित्सा संघ (आइएमए) की छत्तीसगढ़ इकाई की शिकायत के आधार पर बुधवार रात बाबा रामदेव के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि रामदेव के खिलाफ चार धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि मामले में आगे की जांच चल रही है।

अस्पताल बोर्ड आइएमए (सीजी) के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता, आइएमए के रायपुर अध्यक्ष और विकास अग्रवाल उन डॉक्टरों में शामिल थे जिन्होंने पहले शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के अनुसार, पिछले एक साल से बाबा रामदेव कथित रूप से चिकित्सकों, भारत सरकार, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और अन्य अग्रिम पंक्ति के संगठनों द्वारा कोरोना वायरस संक्रमण के उपचार में उपयोग की जा रही दवाओं के खिलाफ सोशल मीडिया पर झूठी सूचनाओं का प्रचार कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर उनके कई वीडियो हैं जिनमें उन्होंने कथित तौर पर इस तरह की भ्रामक टिप्पणियां की थीं। शिकायत में कहा गया है कि ऐसे समय में जब डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ और सरकार व प्रशासन की सभी शाखाएं मिलकर कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में योगदान दे रहे हैं ऐसे में रामदेव स्थापित और स्वीकृत उपचार विधियों के बारे में कथित तौर पर लोगों को गुमराह कर रहे हैं।

शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं और एलोपैथिक दवाओं पर रामदेव की इस तरह की टिप्पणियां लोगों के जीवन को खतरे में डाल देंगी। जबकि ये दवाएं 90 फीसद से अधिक रोगियों को ठीक कर रही हैं।

अधिकारी ने कहा, 'शिकायत की जांच के दौरान, यह पाया गया कि उनके बयान छत्तीसगढ़ सरकार की पिछले साल 13 मार्च की अधिसूचना का उल्लंघन हैं।' अधिसूचना में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति/संस्था/संगठन राज्य के स्वास्थ्य विभाग की पूर्व अनुमति के बिना COVID-19 के संबंध में जानकारी के लिए किसी भी प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उपयोग नहीं करेगा। यह COVID-19 के संबंध में किसी भी अफवाह या अनाधिकृत जानकारी के प्रसार से बचने के लिए है।

chat bot
आपका साथी