मुश्किलों से निकलने की राह खोजें, समस्याओं को लिखकर सूची बनाने से मिलेगी काफी मदद

जिंदगी में मुश्किलों से निकलने की राह खोजने की जरूरत है। समस्याओं से बाहर निकलने के लिए समस्याओं को लिखकर सूची बनाने से मदद मिलती है। कई परेशानियों को लेकर उन्हें लिखकर रखना अपने आप में फायदेमंद होता है।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 01:50 PM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 01:50 PM (IST)
मुश्किलों से निकलने की राह खोजें, समस्याओं को लिखकर सूची बनाने से मिलेगी काफी मदद
समस्याओं को लिखकर रखने से मिलती है काफी मदद। (फोटो: दैनिक जागरण)

नई दिल्ली, जेएनएन। महान अमेरिकी इंजीनियर, बिजनेसमैन चाल्र्स कैटरिंग का कथन है, ‘वह समस्या जिसकी व्याख्या सही तरीके से हो चुकी है, उस समस्या का आधा हल भी निकल चुका है। अगर आप अपनी परेशानी को कागज पर लिखकर उसकी सूची बनाएंगे तो जरूर कुछ विशिष्ट घटता है।’ इसका असर वैसा ही होता है, जैसे आप अपने प्रिय मित्र को अपनी समस्या बताने के बाद शांति का अनुभव करते हैं।

मैंने यह पाया है कि हमारा दिमाग हमारा सबसे अच्छा दोस्त बनने के साथ-साथ सबसे बुरा दुश्मन भी हो सकता है। अगर आप अपनी परेशानियों के बारे में लगातार सोचते रहेंगे तो आप पाएंगे कि आप उनके अलावा कुछ और नहीं सोच रहे हैं। दिमाग एक आश्चर्यजनक अंग है। आप जिस बात को याद रखना चाहते हैं, वह भूल जाता है और जो भूलना चाहते हैं, उसे यह याद रखता है। मेरे पास ऐसे बहुत से लोग आते हैं, जो बीते कई दिनों की बातों पर सोचकर परेशान होते रहते हैं।

अपने उन दिमागी कोलाहलों से जो हमारी कठिनाइयों को बढ़ा रहे हैं, उनसे छुटकारा पाने के लिए अपनी सारी कठिनाइयों की सूची बनाएं। अगर आप ऐसा करते हैं तो वे कठिनाइयां आपके मन को कुंठित नहीं करेंगी और न ही आपको शक्तिहीन बनाएंगी। यह सरल अभ्यास आपको यह अनुमति देगा कि आप अपनी परेशानियों को तरीके से क्रमानुसार और योजनानुसार सुलझा सकें। अनेक सफल लोग, जिन्होंने इस पद्धति का प्रयोग किया है, उनमें से मार्शल आर्ट के गुरु ब्रुस ली और विंस्टन चर्चिल जैसे लोग भी शामिल हैं। 

चर्चिल ने कहा था, करीब आधा दर्जन परेशानियां, जो मुझे चिंतित कर रही हैं, उन्हें लिखकर रखना अपने आप में फायदेमंद होता है। इससे दो समस्याएं अपने आप गायब हो जाती हैं। दो के बारे में कुछ नहीं किया जा सकता और उनके बारे में सोचने का कोई फायदा नहीं, जबकि दो को शायद सुलझाया जा सकता है।

(रॉबिन शर्मा की पुस्तक ‘कौन रोएगा आपकी मृत्यु पर?’ से साभार)

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