पिता शिमला मिर्च, मां टमाटर और भाई बन गया तरोई, जानिये अबूझ पहली

छत्तीसगढ़ के बस्तर के एक युवा वैज्ञानिक ने अच्छी नौकरी छोड़कर अपने घर, परिवार और आदिवासियों के बीच काम करने का फैसला किया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 23 Sep 2018 10:05 PM (IST) Updated:Sun, 23 Sep 2018 10:05 PM (IST)
पिता शिमला मिर्च, मां टमाटर और भाई बन गया तरोई, जानिये अबूझ पहली
पिता शिमला मिर्च, मां टमाटर और भाई बन गया तरोई, जानिये अबूझ पहली

मृगेंद्र पांडेय, रायपुर। पिता शिमला मिर्च, मां टमाटर और अब भाई बन गया ढोढ़का (तरोई)। ऐसा सुनकर कोई भी चौंक सकता है मगर जब इसके पीछे की कहानी पता चलती है तब मन प्रसन्न हो जाता है।

दरअसल, छत्तीसगढ़ के बस्तर के एक युवा वैज्ञानिक ने अच्छी नौकरी छोड़कर अपने घर, परिवार और आदिवासियों के बीच काम करने का फैसला किया। नक्सल प्रभावित कांकेर जिले के अंतागढ़ के युवा वैज्ञानिक डॉ. तुषार पाणिग्रही जब अपनी पढ़ाई पूरी कर 2008 में मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करने पहुंचे, उस समय भी उन्हें बस्तर के किसानों की चिंता थी।

कुछ दिनों में ही उनका नौकरी से मोहभंग हो गया और वह अपने गांव लौट आए। उनके पिता ने आदिवासी किसानों के जीवन में बदलाव के लिए काम करने को कहा। एक वो दिन था और एक आज का दिन है। डॉ. तुषार ने किसानों के लिए उन्नत बीज तैयार करने का जो काम शुरू किया, वह लगातार जारी है।

डॉ. तुषार बताते हैं कि शुरुआती दिनों में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन जब उन्होंने शिमला मिर्च का पहला बीज तैयार किया, तब उसे अपने पिता स्व. राजेंद्रनाथ पाणिग्रही के नाम पर पेटेंट कराया। माता जननी पाणिग्रही के नाम पर टमाटर और भाई हेमंत के नाम पर ढोढ़का की नई वेराइटी तैयार की, पेटेंट कराया। तुषार अब बीज की नई वैराइटी तैयार करने के लिए रायपुर और जगदलपुर के खेतों में काम कर रहे हैं।

पाणिग्रही की टीम इस समय तरबूज, लौकी व स्वीटकार्न की नई वैराइटी तैयार कर रही है। नई तकनीक के साथ छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश व कर्नाटक के किसानों के साथ भी काम कर रहे हैं।

किसानों को दे रहे मुफ्त प्रशिक्षण

आधुनिक तकनीक से खेती करने के लिए डॉ. तुषार और उनकी टीम के सदस्य किसानों को बिल्कुल मुफ्त प्रशिक्षण दे रहे हैं। इसके लिए किसानों का एक वाट्सअप ग्रुप भी बनाया गया है। उन्नत बीज से खेती के चलते किसानों के कृषि उत्पादन में दस से बीस फीसद की बढ़ोतरी हुई है जबकि लागत हो गई है आधी। डॉ. तुषार व उनकी टीम द्वारा अभी तक लगभग दस हजार किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

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देश के लिए समर्पित पूरा परिवार

पिता राजेंद्रनाथ पाणिग्रही खिलाड़ी थे और राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ के लिए कई मेडल भी जीते थे। उन्होंने कोलंबो में इंटरनेशनल मास्टर एथलेटिक्स में भी भाग लिया और 65 वर्ष आयु वर्ग में 400 मीटर रनिंग एवं लांग जंप में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। डॉ. तुषार के भाई हेमंत पाणिग्रही ने पत्रकारिता की पढ़ाई रायपुर के कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय से की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक किताब का संपादन भी किया जिसका नाम मोदी युग, एक मूल्यांकन है।

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