Farmers Protest: किसानों ने सरकार के प्रस्‍ताव को किया खारिज, तीनों कानून पूरी तरह रद करने की मांग

नए कृषि कानूनों के डेढ़ साल तक स्‍थगित करने के केंद्र सरकार के प्रस्‍ताव को किसान संगठनों ने खारिज कर दिया है। संयुक्‍त किसान मोर्चा ने कहा कि तीनों कृषि कानून पूरी तरह रद होने चाहिए। बुधवार को किसान नेताओं ने सरकार के प्रस्‍ताव का स्‍वागत किया था।

By Arun kumar SinghEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 05:15 PM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 10:45 PM (IST)
Farmers Protest: किसानों ने सरकार के प्रस्‍ताव को किया खारिज, तीनों कानून पूरी तरह रद करने की मांग
केंद्र सरकार के प्रस्‍ताव पर किसान संगठन आंदोलन वापसी का फैसला

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्र सरकार की ओर से डेढ़ साल के लिए नए कृषि कानूनों के अमल पर स्थगन के प्रस्ताव से गतिरोध खत्म होने की जो आशा जगी थी, किसान संगठनों ने उस पर पानी फेर दिया है। गुरुवार को लंबे मंथन के बाद संगठनों की ओर से प्रस्ताव खारिज कर दिया गया। वे कानूनों की वापसी के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) गारंटी की अपनी पुरानी मांग पर अड़े हैं। दरअसल, कहीं न कहीं उनके अंदर यह भावना बलवती हो गई है कि कुछ दिन और डटे रहे तो सरकार झुकेगी। ऐसे में अब फिर से निगाहें सुप्रीम कोर्ट की ओर जाएंगी। उधर, सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी ने भी गुरुवार से सुनवाई शुरू कर दी। बुधवार को 10वें दौर की बैठक में सरकार की ओर से तीनों नए कृषि कानूनों के अमल को डेढ़ साल के लिए स्थगित करके एक संयुक्त समिति के गठन की पेशकश की गई थी। समिति में दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों को सदस्य बनाने का प्रस्ताव दिया गया था। सरकार के इस प्रस्ताव पर बुधवार को फौरी तौर पर किसान नेताओं ने सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की थी, लेकिन गुरुवार को वे इससे मुकर गए।

प्रस्ताव पर तैयारी कर रही थी सरकार

किसान संगठनों के इस रुख से सरकार के एक कदम आगे बढ़कर समस्या के समाधान की कोशिश को झटका लगा है। इससे गतिरोध बने रहने की आशंका बढ़ गई है। कृषि मंत्रालय में सरकार के प्रस्ताव पर आगे बढ़ने की तैयारियां चल रही थीं ताकि शुक्रवार को होने वाली बैठक में इसे अमली जामा पहनाया जा सके। हालांकि सरकार की ओर से किसान नेताओं के इस फैसले पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

हरियाणा के किसान चाह रहे तीन साल के लिए स्थगित हों कानून

संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी बयान में किसान आंदोलन को पूर्व निर्धारित समय सारणी के हिसाब से ही जारी रखने की बात कही गई है। बैठक में मौजूद एक किसान नेता ने बताया कि हरियाणा के किसानों का कहना था कि यदि सरकार तीनों नए कानूनों को डेढ़ के बजाय तीन साल के लिए निलंबित कर दे और एमएसपी कानून बनाने पर राजी हो जाए तो धरना समाप्त करना ठीक रहेगा। जबकि पंजाब के किसान तीनों कानूनों को रद कराने की मांग पर अड़े हैं। बैठक में विभिन्न राज्यों के किसान नेताओं के उत्पीड़न का मुद्दा भी उठाया गया।

दिल्ली पुलिस से वार्ता बेनतीजा, ट्रैक्टर रैली पर भी अड़े किसान

किसान 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली को लेकर भी अड़े हुए हैं, जबकि दिल्ली पुलिस ने उन्हें अभी तक इसकी अनुमति नहीं दी है। मोर्चा की ओर से किसान नेता डा. दर्शन पाल ने कहा कि पुलिस ने दिल्ली में प्रवेश नहीं करने की बात कही, वहीं किसानों ने दिल्ली की आउटर रिंग रोड पर रैली करने की बात दृढ़ता से रखी। किसान संगठनों ने स्पष्ट किया है कि ट्रैक्टर रैली शांतिपूर्ण होगी और गणतंत्र दिवस समारोह को किसी भी रूप में बाधित नहीं किया जाएगा। वहीं, पुलिस ने केएमपी एक्सप्रेस वे पर ट्रैक्टर रैली निकालने की सलाह दी।

आठ राज्यों के 10 संगठनों ने की सुप्रीम कोर्ट समिति से बात

सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति ने भी गुरुवार से किसान संगठनों के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू कर दी। समिति ने एक बयान जारी कर बताया कि विभिन्न किसान संगठनों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बातचीत की गई। कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के 10 किसान संगठनों ने बातचीत में हिस्सा लिया। बयान के मुताबिक, 'किसान संगठनों ने बातचीत में हिस्सा लिया और खुलकर अपने विचार रखे जिसमें कानूनों के क्रियान्वयन में सुधार के सुझाव शामिल हैं।'

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