छत्तीसगढ़ : नहीं मिल रहे खरीदार, गांवों में फसल नष्ट करने पर मजबूर हुए किसान
पर्याप्त सप्लाई नहीं होने के कारण पत्ता गोभी 40 रुपये टमाटर 45 से 50 लौकी 30 से 40 रुपये तक में बिक रहा है उधर सब्जी को किसान फेंकने पर विवश हो रहे हैं। गनियारी में किसान ने ट्राली में भर कर लौकी फेंक दी।
रायपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ के लगभग सभी जिलों में महीनेभर से लॉकडाउन है। रायपुर और दुर्ग जिले को छोड़कर अन्य जिलों में किराना और सब्जी की थोक मंडी व खुदरा बाजार भी बंद हैं। इससे राज्य के सब्जी उत्पादक किसानों को खरीदार नहीं मिल रहे हैं। मजबूरी में किसानों को अपनी तैयार फसल को नष्ट करना पड़ रहा है। दूसरी तरफ शहरी समेत राज्य के ज्यादार क्षेत्रों में सब्जी मिल नहीं रही है या बहुत महंगी मिल रही है। सरकार ने सब्जी उत्पादकों को फेरी लगाकर सब्जी बेचने की अनुमति दी है, लेकिन जिले की सीमा के बाहर जाने की इजाजत नहीं है।
किसान कह रहे हैं कि इतने बड़े पैमाने पर सब्जी स्वयं फेरी लगाकर कैसे बेच सकते हैं। इधर, पर्याप्त सप्लाई नहीं होने के कारण पत्ता गोभी 40 रुपये, टमाटर 45 से 50, लौकी 30 से 40 रुपये तक में बिक रहा है, उधर, सब्जी को किसान फेंकने पर विवश हो रहे हैं। बिलासपुर के गनियारी निवासी किसान प्रमोद साहू ने एक ट्राली (ट्रैक्टर) लौकी फेंक दी। उन्होंने बताया कि करीब पौन एकड़ में उन्होंने लौकी की फसल लगाई है। फसल तैयार है, लेकिन खरीदार नहीं मिल रहे हैं। करीब एक क्विंटल बोडा (बरबट्टी) सूखाना पड़ा है। तुरई मवेशियों को खिलाना पड़ रहा है।
साहू ने बताया कि आसपास के सभी गांवों के किसानों की यही स्थिति है। वहीं, अकलतरा के मठपार गांव के एक किसान ने अपनी चार एकड़ की सब्जी की पूरी खेती ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर दी। उन्होंने बैंगन, पत्ता गोभी के साथ खीरा लगाया था। यही हाल बेमेतरा समेत अन्य जिलों में सब्जी की खेती करने वाले किसानों का है। बेमेतरा के एक किसान ने बताया कि टमाटर पककर खेत में ही सड़ रहे हैं। पपीता पेड़ पर ही पक गए हैं, लेकिन खरीदार नहीं है, इसलिए पूरी फसल खेत में ही छोड़ दिया गया है।
क्या यही है किसान हितैषी सरकार
अकलतरा सीट से भाजपा विधायक सौरभ सिंह ने किसानों की दुर्दशा के लिए सरकार को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा कि किसानों को जिले से बाहर सब्जी ले जाने की अनुमति नहीं है। कोई किसान खुद बेचने निकलता है तो पुलिस और प्रशासन के लोग उसे बाहर जाने नहीं देते। थोक मंडी खुल नहीं रही है तो आखिर किसान करें क्या? सिंह ने कहा कि एक तरफ यह सरकार खुद को किसान हितैषी बताती है, दूसरी तरफ किसान इतने मजबूर हैं कि जिस फसल को उन्होंने अपना पैसा और खून-पसीना लगाकर उगाया है उसे ऐसे ही नष्ट करना पड़ रहा है। सरकार को किसानों के इस मामले में शीघ्र कोई सकारात्मक कदम उठाना चाहिए।