कोविड की तीसरी लहर पर विशेषज्ञ बोले- कुछ कहना संभव नहीं, बच्चों के लिए अच्छी खबर

टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी परामर्श समूह (एनटीएजीआइ) के चेयरमैन डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि भारत में कोरोना संक्रमण की मौजूदा स्थिति से ऐसा कोई संकेत नहीं मिलता कि इससे खासकर बच्चे या युवा ज्यादा प्रभावित हुए हैं।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Tue, 25 May 2021 07:12 PM (IST) Updated:Tue, 25 May 2021 07:46 PM (IST)
कोविड की तीसरी लहर पर विशेषज्ञ बोले- कुछ कहना संभव नहीं, बच्चों के लिए अच्छी खबर
कोविड की तीसरी लहर पर विशेषज्ञ बोले- कुछ कहना संभव नहीं, बच्चों के लिए अच्छी खबर

नई दिल्ली, प्रेट्र। कोरोना महामारी पर गठित एक सरकारी समूह के प्रमुख ने कहा है कि इस पर यकीन करने का कोई कारण नहीं है कि कोरोना महामारी की अगली या तीसरी लहर से बच्चे ज्यादा प्रभावित होंगे। हालांकि, उन्होंने कोरोना संक्रमण से बच्चों को सुरक्षित करने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने पर जोर दिया है।

टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी परामर्श समूह (एनटीएजीआइ) के चेयरमैन डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि भारत में कोरोना संक्रमण की मौजूदा स्थिति से ऐसा कोई संकेत नहीं मिलता कि इससे खासकर बच्चे या युवा ज्यादा प्रभावित हुए हैं। चूंकि मामले ज्यादा आ रहे हैं इसलिए हर आयुवर्ग से अधिक संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं।

डॉ. अरोड़ा ने यह भी कहा कि फिलहाल किसी तीसरी लहर के बारे में कुछ कहना संभव नहीं है। परंतु, अपने देश या दूसरे देशों के आंकड़ों और अनुभवों के आधार पर इस पर विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि आने वाले हफ्तों, महीनों या अगली लहर में महामारी का बच्चों पर ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

इससे पहले भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा बताया जा चुका है कि तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने के ठोस वैज्ञानिक संकेत नहीं हैं। इसके लिए वे पहली और दूसरी लहर के बीच समानता की दलील देते हुए तीसरी लहर के अलग होने की आशंका को निराधार बता रहे हैं।

तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने के बारे में पूछे जाने पर एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा था कि पहली और दूसरी लहर का डाटा देखें तो पाते हैं कि बच्चे बहुत कम संक्रमित होते हैं और अगर हुए भी हैं तो लक्षण हल्के (माइल्ड) ही रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं है कि तीसरी लहर में संक्रमण बच्चों में ज्यादा होगा और वह भी गंभीर (सीवियर) होगा। बच्चों में कोरोना के कम संक्रमण या माइल्ड संक्रमण का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके पीछे एक वैज्ञानिक तर्क यह दिया जा रहा है कि कोरोना वायरस जिस रिसेप्टर के सहारे कोशिका से जुड़ता है, वह बच्चों में कम होता है।

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