ई-कचरे के संग्रह और निस्तारण के लिए बढ़ेगी राज्यों की जवाबदेही, हर तीन महीने में देना होगा निपटारे का ब्योरा

मोबाइल लैपटाप सहित इलेक्टि्रकल व इलेक्ट्रानिक्स उपकरणों के प्रति लोगों में जिस तरह से चाहत बढ़ रही है वह आने वाले दिनों में पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा भी बन सकती है। इन्हीं आशंकाओं को देखते हुए केंद्र अब राज्यों को और अधिक जवाबदेह बनाने की तैयारी में है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 11 Sep 2021 08:38 PM (IST) Updated:Sat, 11 Sep 2021 08:49 PM (IST)
ई-कचरे के संग्रह और निस्तारण के लिए बढ़ेगी राज्यों की जवाबदेही, हर तीन महीने में देना होगा निपटारे का ब्योरा
केंद्र अब ई-कचरे की बढ़ती समस्‍या को देखते हुए राज्यों को और अधिक जवाबदेह बनाने की तैयारी में है।

नई दिल्ली, जेएनएन। मोबाइल, लैपटाप सहित इलेक्टि्रकल व इलेक्ट्रानिक्स उपकरणों के प्रति लोगों में जिस तरह से चाहत बढ़ रही है, वह आने वाले दिनों में पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा भी बन सकती है। इन्हीं आशंकाओं को देखते हुए केंद्र अब ई-कचरे की बढ़ती समस्‍या को देखते हुए राज्यों को और अधिक जवाबदेह बनाने की तैयारी में है। उन्हें ई-कचरे का ज्यादा से ज्यादा संग्रह करना होगा। अभी देश में हर साल पैदा होने वाले ई-कचरे के सिर्फ 10 फीसद का ही संग्रह हो पाता है।

एसपीसीबी को भी जोड़ा

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के साथ मिलकर इस पहल से सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) को भी जोड़ा है। एसपीसीबी को अब राज्य में तैयार होने वाले इलेक्टि्रकल व इलेक्ट्रानिक्स उपकरणों के साथ-साथ संग्रह किए जाने वाले ई-कचरे का भी ब्योरा रखना होगा। वे इन उपकरणों को तैयार करने वाली कंपनियों को भी मुहिम से जोड़ेंगे और उन्हें ई-कचरे के संग्रह का लक्ष्य देंगे।

सीपीसीबी को देनी होगी जानकारी

फिलहाल राज्यों को प्रत्येक तीन महीने में ई-कचरे के संग्रह की जानकारी सीपीसीबी को देनी होगी। मंत्रालय ई-कचरे के संग्रह को बढ़ाने के लिए जनजागरूकता अभियान भी चलाएगा। पर्यावरण मंत्रालय का मानना है कि इलेक्ट्रानिक्स व इलेक्टि्रकल उपकरणों का इस्तेमाल तो लोग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें इसके उचित निस्तारण के बारे में जानकारी नहीं है।

ई-कचरे को लेकर मुहिम

लोग उपकरणों को खराब होने के बाद कूड़े या खुले स्थानों में फेंक देते हैं जबकि इनमें कई ऐसे खतरनाक कार्बनिक तत्व होते हैं जो पर्यावरण, खासकर पानी व मिट्टी को नुकसान पहुंचाते हैं। सीपीसीबी के पूर्व अपर निदेशक डा. दीपांकर साहा के मुताबिक ई-कचरे का संग्रह बड़ी चुनौती है लेकिन जनजागरूकता से इसमें सफलता मिल सकती है। स्वच्छता की तरह ई-कचरे को लेकर मुहिम शुरू करनी चाहिए।

20 राज्यों में 400 रीसाइक्लर नियुक्त

ई-कचरे के निस्तारण के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 20 राज्यों में 400 रीसाइक्लर नियुक्त किए हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तराखंड, ओडिशा, कर्नाटक, बंगाल व जम्मू-कश्मीर आदि राज्य व केंद्रशासित प्रदेश शामिल हैं।

नहीं जमा हो पा रहा ई-वेस्‍ट

इन रीसाइक्लर की सालाना रीसाइक्लिं‍ग क्षमता वैसे तो करीब 11 लाख टन है, लेकिन देश में इतना ई-कचरा संग्रह ही नहीं हो पा रहा है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में निदेशक वीपी मिश्रा के मुताबिक ई-कचरे के संग्रह पर ही मुख्य रूप से फोकस किया जा रहा है। राज्यों को भी इस मुहिम से जोड़ा जा रहा है। 

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