हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्वतंत्र आवागमन के लिए भारत और ईयू संकल्पित, 5 युद्धपोतों ने किया संयुक्त अभ्यास
27 देशों के ईयू और भारत की नौसेनाओं ने प्रमुख जलमार्गो पर शांत और सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित करने के लिए मिलकर कार्य करने का अभ्यास किया। ईयू ने कहा है कि दोनों पक्ष समुद्री सुरक्षा के लिए अपना सहयोग और बढ़ाने पर सहमत हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में क्षेत्रीय संप्रभुता के सम्मान, नियमबद्ध और हर तरह के स्वतंत्र आवागमन के लिए दुनिया एकजुट हो रही है। 18-19 जून को भारत और यूरोपीय यूनियन (ईयू) की नौसेनाओं ने अदन की खाड़ी में संयुक्त अभ्यास करके हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्वतंत्रता की अपनी इच्छा व्यक्त की। जाहिर है कि भारत और ईयू की एकजुटता चीन की आक्रामकता के लिए चुनौती है। हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में चीन अपनी ताकत बढ़ाता जा रहा है और क्षेत्रीय देशों की संप्रभुता को नुकसान पहुंचा रहा है।
27 देशों के ईयू और भारत की नौसेनाओं ने प्रमुख जलमार्गो पर शांत और सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित करने के लिए मिलकर कार्य करने का अभ्यास किया। ईयू ने कहा है कि दोनों पक्ष समुद्री सुरक्षा के लिए अपना सहयोग और बढ़ाने पर सहमत हैं। समूह ने बयान जारी कर कहा है कि दोनों पक्ष हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र के समुद्री आवागमन को लेकर बने नियम तथा अन्य नियमों के पालन के पक्षधर हैं। इसी तरह का बयान भारत के रक्षा मंत्रालय ने भी जारी किया है। दोनों पक्षों ने जनवरी में समुद्री सहयोग बढ़ाने के संबंध में वार्ता शुरू की थी और उसी के परिणामस्वरूप यह संयुक्त अभ्यास हुआ है।
दो दिन के इस अभ्यास में दोनों पक्षों के कुल पांच युद्धपोतों ने हिस्सा लिया। दोनों पक्षों के युद्धपोत इलाके में समुद्री डाकुओं के खिलाफ अभियान पर थे, उसी दौरान उन्होंने साझा अभ्यास किया। इस अभ्यास के बाद भारतीय नौसेना ने विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत खाद्यान्न ले जा रहे जहाजों को सुरक्षित अदन की खाड़ी से निकलवाया।