महामारी विशेषज्ञों और सामाजिक वैज्ञानिकों ने अधिकारियों से कहा, स्कूलों को फिर से खोलें, यह है कारण

अगस्‍त महीने में किए गए 1400 स्‍कूली बच्‍चों पर किए गए सर्वे में विद्वानों के समूह ने पाया कि ग्रामीण क्षेत्रों में बच्‍चे ऑनलाइन पढ़ाई नियमित रूप से केवल 8 फीसद अध्ययन कर रहे हैं। 37 फीसद बच्‍चे बिल्कुल भी पढ़ नहीं कर रहे हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 07 Sep 2021 07:49 PM (IST) Updated:Tue, 07 Sep 2021 08:52 PM (IST)
महामारी विशेषज्ञों और सामाजिक वैज्ञानिकों ने अधिकारियों से कहा, स्कूलों को फिर से खोलें, यह है कारण
स्कूल की कक्षाओं को फिर से खोलने का आग्रह किया है

 नई दिल्‍ली, रायटर्स। कई शीर्ष भारतीय महामारी विशेषज्ञों और सामाजिक वैज्ञानिकों ने अधिकारियों से सभी आयु समूहों के लिए स्कूल की कक्षाओं को फिर से खोलने का आग्रह किया है। उन्‍होंने कहा कि कि इससे जोखिम के बजाय लाभ अधिक है, खासकर गरीब ग्रामीण बच्चे ऑनलाइन शिक्षा से गायब हैं। यह सिफारिश तब की गई है, जब विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल भारत में एक और कोरोना लहर कम घातक आ सकती है।

इससे पहले अप्रैल और मई के महीने में कोरोना के मामलों में बड़े पैमाने पर वृद्धि देखने को मिली थी। इसका मतलब यह भी है कि अधिकांश आबादी एक बड़ा तबका पहले ही संक्रमित हो चुका है। इसके बाद आधे से अधिक वयस्कों को टीके की पहली खुराक लगाई जा चुकी है। भारत में अब तक केवल वयस्कों का ही टीकाकरण किया जा रहा है। चूंकि नए संक्रमण एक दिन में लगभग 40,000 स्थिर हो गए हैं। पिछले कुछ हफ्तों में कुछ राज्यों ने मिडिल और उससे ऊपर के स्‍कूल फिर से शुरू कर दिए गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह काफी नहीं है।

समाज विज्ञानियों ने दी रिपोर्ट

सामाजिक विज्ञानी ज्‍यां द्रेज समेत अन्‍य विद्वानों ने एक रिपोर्ट में कहा गया कि स्‍कूल एक आवश्‍यक सेवा है। विद्वानों ने अस्‍पष्‍ट दिखाई देने वाली आपदा के रूप में चेतावनी दी है। रिपोर्ट में कहा गया कि स्‍कूल बंद होने वाले सबसे बाद में और फिर से खोलने वोली पहली संस्‍था हैं। भारत में इसके विपरीत हो रहा है। कोरोना के मामले आने के तुरंत बाद 2020 की शुरुआत में सभी स्‍कूलों को बंद कर दिया गया। उनमें से अधिकांश स्‍कूल अभी भी बंद हैं। इस टिप्‍पणी के बारे में स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्रालयों ने तुरंत जवाब नहीं दिया। केंद्र सरकार ने स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला राज्यों पर छोड़ दिया है।

ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं हो रही कोई पढ़ाई

अगस्‍त महीने में किए गए 1400 स्‍कूली बच्‍चों पर किए गए सर्वे में विद्वानों के समूह ने पाया कि ग्रामीण क्षेत्रों में बच्‍चे ऑनलाइन पढ़ाई नियमित रूप से केवल 8 फीसद अध्ययन कर रहे हैं। 37 फीसद बच्‍चे बिल्कुल भी पढ़ नहीं कर रहे हैं और लगभग आधे बच्‍चे कुछ शब्दों से अधिक पढ़ने में असमर्थ थे। अधिकांश माता-पिता चाहते थे कि स्कूलों को जल्द से जल्द फिर से खोला जाए।

डाक्‍टरों के एसोसिएशन ने किया ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वे

लगभग 6,000 डाक्‍टरों के सदस्य वाले इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन ने अध्‍ययन में पाया कि इसके कारणों में कई बच्चों के पास अपना स्‍मार्टफोन था। मोबाइल कनेक्टिविटी खराब थी। उनके पास मोबाइल इंटरनेट के लिए देने के लिए पैसे नहीं थे। यही कारण है कि इनमें कुछ बच्‍चों के लिए स्‍कूल पढ़ाई के लिए सामग्री नहीं भेज रहे थे या उनके लिए ऑनलाइन शिक्षा को समझना बहुत कठिन था।

ऐसे में सावधानी बरतने के बाद सभी आफलाइन कक्षाएं फिर से शुरू करें। यह सुरक्षित है। स्‍कूलों में कोविड प्रोटोकाल का पालन किया जाए। बेहतर वेंटिलेशन, शारीरिक दूरी और मास्‍क का प्रयोग किया जाए। महामारी विज्ञानियों का यह भी कहना है कि भारत के अंतिम सीरोलॉजिकल में किए सर्वे का अनुमान है कि देश की 6-17 साल पहले की आधी से अधिक आबादी संक्रमित हो चुकी है। ना किसी विशेष के गंभीरता बच्‍चों के संक्रमित होने की चिंता का कोई कारण नहीं है।

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