मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय ने अहमदाबाद की कंपनी का निदेशक को किया गिरफ्तार

केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा कि दवे के अलावा इन फर्मो के दूसरे निदेशक प्रतीक आर. शाह एवं अन्य ने अहमदाबाद पीपुल्स कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड (एपीसीबीएल) के साथ 25.25 करोड़ रुपये की जालसाजी की। गुजरात पुलिस की सीआइडी अपराध शाखा ने मई 2009 में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Thu, 15 Oct 2020 08:26 PM (IST) Updated:Thu, 15 Oct 2020 08:26 PM (IST)
मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय ने अहमदाबाद की कंपनी का निदेशक को किया गिरफ्तार
अहमदाबाद की स्थानीय अदालत ने दवे को 17 अक्टूबर तक ईडी की हिरासत में सौंप दिया है।

नई दिल्ली, प्रेट्र। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अहमदाबाद स्थित बायोटेक कंपनी की निदेशक को कोआपरेटिव बैंक के साथ 25.25 करोड़ रुपये की जालसाजी मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया है। ईडी ने गुरुवार को बताया कि पेंटियम इन्फोटेक लिमिटेड और हीराम बायोटेक लिमिटेड की निदेशक निकेता बलदेवभाई दवे को मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया गया है। अहमदाबाद की स्थानीय अदालत ने दवे को 17 अक्टूबर तक ईडी की हिरासत में सौंप दिया है।

केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा कि दवे के अलावा इन फर्मो के दूसरे निदेशक प्रतीक आर. शाह एवं अन्य ने अहमदाबाद पीपुल्स कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड (एपीसीबीएल) के साथ 25.25 करोड़ रुपये की जालसाजी की। गुजरात पुलिस की सीआइडी अपराध शाखा ने मई 2009 में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसी एफआइआर के आधार पर ईडी ने आपराधिक मामला दर्ज किया।

प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि उसने अपनी जांच में पाया कि शाह और दवे एपीसीबीएल में एफडीओडी (एफडी के एवज में ओवरड्राफ्ट) ऋण खाता खोला। इन कंपनियों ने भुगतान में चूक की जिससे बैंक को 25.25 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

कंपनी के विभिन्न कर्मचारियों के नाम खोले गए थे खाते

दर्ज हुई एफआइआर के मुताबिक इन आरोपियों ने अहमदाबाद पीपुल्स कॉपरेटिव बैंक में फिक्स डिपाजिट के खिलाफ ओवरड्राफ्ट खाते (एफडीडीओ) खोले हैं। ये खाते आरोपियों की कंपनी के विभिन्न कर्मचारियों के नाम पर खोले गए थे। इन खातों में करोड़ों से ज्यादा की रकम बतौर लोन ली गई थी।

अधिकारी के कहा कि कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में प्रस्ताव पास कर लेने और अहम मामलों की जिम्मेदारी निकिता दवे के पास थी। दवे ने बिना किसी सूचना के कंपनी की जमीन अन्य लोगों को बेच दी।प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी ने बताया कि बैंक को बताए बिना जमीन की बिक्री नहीं की जा सकती थी। लेकिन सभी नियम कानूनों को ताक पर रख जमीनों की बिक्री की गई। 

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