छत्तीसगढ़ : जंगल की आबोहवा में जहर घोल रहा कोरोना, आठ आदिवासियों की रिपोर्ट पाजिटिव
गांव की एक गर्भवती महिला सोमवार को अपना टीकाकरण करवाने पति के साथ 40 किलोमीटर दूर केदमा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गई थी। वहां से लौटने के साथ बुखार के साथ दूसरे लक्षण दिखाई देने लगे। उसका एंटीजन किट से टेस्ट किया गया और रिपोर्ट पाजिटिव आई।
अंबिकापुर [असीम सेनगुप्ता]। शुद्ध आबोहवा के बीच रहने वाले आदिवासी परिवार भी कोरोना से संक्रमित होने लगे हैं। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिला मुख्यालय अंबिकापुर से 80 किलोमीटर दूर आदिवासी बहुल कुदर (बसवार) गांव में दो दिनों के अंदर आठ लोगों की रिपोर्ट कोरोना पाजिटिव आई है।
उदयपुर के खंड चिकित्सा अधिकारी डा. एआर जयंत ने बताया कि फिलहाल मरीजों को घरों में ही आइसोलेट कर स्थानीय स्वास्थ्य अमले को निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वे ग्रामीणों की कोरोना जांच कर रहे हैं। पूछताछ में पता चला है कि गांव की एक गर्भवती महिला सोमवार को अपना टीकाकरण करवाने पति के साथ 40 किलोमीटर दूर केदमा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गई थी। वहां से लौटने के साथ बुखार के साथ दूसरे लक्षण दिखाई देने लगे। इस पर सोमवार को उसका एंटीजन किट से टेस्ट किया गया। इसकी रिपोर्ट पाजिटिव आने पर गांव में सरपंच-सचिव के साथ 38 लोगों की जांच की गई थी।
पिछले वर्ष नहीं मिला था एक भी मरीज
कुदर(बसवार) में पिछले साल इस इलाके में एक भी कोरोना संक्रमित नहीं मिला था। यह गांव कोरबा जिले की सीमा से लगे सरगुजा के अंतिम छोर पर चारों ओर से जंगलों से घिरा है। ब्लाक मुख्यालय उदयपुर से इस गांव की दूरी लगभग तीस किलोमीटर है। यहां के रहवासी प्रकृति के बीच निवास करते हैं। शुद्ध आबोहवा और संयमित जीवन शैली के कारण इस इलाके में रहने वाले लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बेहतर माना जाता है। न तो कहीं भीड़ है और न ही शहरी लोगों के संपर्क में आते हैं।