Eid-al-Adha 2021 : देशभर में बकरीद की धूम, तस्वीरों में देखें कोरोना संक्रमण के बीच कैसे मनाया जा रहा त्योहार

देशभर में कोरोना संक्रमण के कारण ईद-अल-अजाह को लेकर कुछ दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। ज्यादातर जगहों पर लोगों से घर पर ही नमाज पढ़ने की अपील की गई है। वहीं कई जगह कोरोना प्रोटोकॉल का ख्याल रखते हुए लोगों ने मस्जिद में जाकर नमाज अदा की।

By Neel RajputEdited By: Publish:Wed, 21 Jul 2021 09:42 AM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 09:42 AM (IST)
Eid-al-Adha 2021 : देशभर में बकरीद की धूम, तस्वीरों में देखें कोरोना संक्रमण के बीच कैसे मनाया जा रहा त्योहार
बकरीद पर कोविड प्रोटोकॉल का रखा जा रहा खास ख्याल

नई दिल्ली, एजेंसी। देशभर में बुधवार को ईद-अल-अजाह यानी बकरीद का त्योहार मनाया जा रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण ज्यादातर लोगों ने आज घर पर ही नमाज पढ़ी। वहीं, कई राज्यों से ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जहां लोगों ने मस्जिद में जाकर नमाज अदा की, हालांकि इस दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पूरा ख्याल रखा गया। आइए देखते हैं बकरीद की कुछ खास तस्वीरें-

- जम्मू-कश्मीर में COVID-19 के कारण पूरे श्रीनगर में सीमित सभाओं में ईद-अल-अजाह मनाया गया। मस्जिद के एक कर्मचारी का कहना है, 'सरकार के नियमों के अनुसार, बड़ी मस्जिदें बंद हैं। छोटे समुदायों की मस्जिदों में नमाज पढ़ी जा रही है। हम प्रार्थना करते हैं कि अल्लाह हमें कोरोना महामारी से बचाए।'

- गुजरात के जामा मस्जिद में लोगों ने नामज अदा की। 

- मस्जिद के इमाम ने कहा, सीमित संख्या में ईद मनाने में सक्षम होने के लिए हम अल्लाह के शुक्रगुजार हैं। अच्छी व्यवस्था करने के लिए मैं पुलिस का आभारी हूं।

- कोरोना को लेकर जारी दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अपने घर पर ही नमाज अदा की।

- ईद-अल-अजाह के मौके पर केरल के तिरुवनंतपुरम के पलायम जुमा मस्जिद में सोशल डिस्टेंसिंग प्रोटोकॉल के अनुसार नमाज अदा की गई।

- महाराष्ट्र में बकरीद पर कोई सामूहिक सभा नहीं होने के COVID प्रोटोकॉल के अनुरूप मुंबई की माहिम दरगाह के बाहर पुलिस बैरिकेड्स लगाए गए हैं।

- जम्मू-कश्मीर की तावी ब्रिज मस्जिद में ईद-अल-अजाह के मौके पर लोगों ने नमाज अदा की।

- पंजाब में बकरीद पर अमृतसर की खैरुद्दीन मस्जिद में नमाज अदा की गई।

बता दें कि बकरीद के दिन सबसे पहले नमाज अदा की जाती है। इसके बाद बकरे या तुंबे-भेड़ की कुर्बानी होती है। इसके गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं। एक हिस्सा गरीबों, दूसरा हिस्सा दोस्तों व रिश्तेदारों और तीसरा हिस्सा अपने परिवार कि लए रखा जाता है।

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