मोदी सरकार के एजेंडे में शिक्षा सुधार, देश में पिछले सात सालों में हर हफ्ते औसतन एक विश्वविद्यालय खुला

छात्रों तक उच्च शिक्षा की पहुंच को बेहतर और आसान बनाने के लिए कालेजों के खोलने की रफ्तार भी इस दौरान तेज रही। रिपोर्ट के मुताबिक इन सात सालों में देश में हर दिन दो कालेज भी खोले गए।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 07 Sep 2021 09:04 PM (IST) Updated:Tue, 07 Sep 2021 09:04 PM (IST)
मोदी सरकार के एजेंडे में शिक्षा सुधार, देश में पिछले सात सालों में हर हफ्ते औसतन एक विश्वविद्यालय खुला
शिक्षा में सुधार को लेकर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति

 नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। शिक्षा में सुधार को लेकर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भले ही वर्ष 2020 में आई है, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की यह मुहिम मोदी सरकार बनने के साथ ही शुरू हो गई थी। यही वजह है कि पिछले सात सालों में विश्वविद्यालयों से लेकर कालेज और स्कूली इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती देने में काफी काम हुआ है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले सात सालों में देश में हर हफ्ते औसतन एक विश्वविद्यालय खुला है। वर्ष 2013-14 में देश में जहां कुल 723 विश्वविद्यालय थे वहीं वर्ष 2019-20 में इनकी संख्या बढ़कर 1043 हो गई है। इस दौरान देश में 320 नए विश्वविद्यालय खोले गए।

कालेज खुलने की रफ्तार भी रही तेज, हर दिन खुले औसतन दो कालेज

छात्रों तक उच्च शिक्षा की पहुंच को बेहतर और आसान बनाने के लिए कालेजों के खोलने की रफ्तार भी इस दौरान तेज रही। रिपोर्ट के मुताबिक इन सात सालों में देश में हर दिन दो कालेज भी खोले गए। वर्ष 2013-14 में देश में कालेजों की कुल संख्या 36,634 थी, जबकि 2019-20 में कालेजों की संख्या 42,343 हो गई। इन्हीं प्रयासों का असर है कि देश में उच्च शिक्षा की नामांकन दर भी बढ़ी है। वर्ष 2013-14 में जहां 3.45 करोड़ नामांकन हुए, वहीं वर्ष 2019-20 में बढ़कर 3.85 करोड़ हो गए। आइआइटी, आइआइएम की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2014 में देश में सिर्फ 16 आइआइटी थे, वहीं अब इनकी संख्या 23 हो गई है। आइआइएम की भी संख्या इन सालों में 13 से बढ़कर 20 हो गई है।

स्कूलों का इंफ्रास्ट्रक्चर भी सुधरा, 83 फीसद स्कूलों में पहुंची बिजली

बीते सात सालों में स्कूली इन्फ्रास्ट्रक्चर और छात्र-शिक्षक अनुपात में भी बड़ा सुधार आया है। देश के 83 फीसद स्कूल अब बिजली से लैस हो गए हैं। वर्ष 2014 में सिर्फ 55 फीसद स्कूलों में ही बिजली थी। इसी तरह लाइब्रेरी और रीडिंग रूम को लेकर स्थितिर बेहतर हुई है। करीब 84 फीसद स्कूलों में अब यह सुविधा मौजूद है। वर्ष 2014 के मुकाबले करीब 15 फीसद स्कूलों यह सुविधा बढ़ी है।

शिक्षा में सुधार की इस मुहिम में स्कूलों में छात्र-शिक्षक का अनुपात भी सुधरा है। स्कूलों में प्राइमरी स्तर पर यह अनुपात वर्ष 2014 में प्रति शिक्षक 34 बच्चों का था, जो अब घटकर प्रति शिक्षक 26 बच्चों का हो गया है। अपर प्राइमरी में स्थिति अब और सुधरी है, वहां अब प्रति शिक्षक सिर्फ 18 बच्चे ही हैं। इस सालों में स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने का काम तेजी से किया गया है। हालांकि अभी भी स्कूलों में शिक्षकों के पद बड़ी संख्या में खाली पड़े हैं। स्कूलों में हैंडवास, लड़कियों के लिए शौचालय की स्थिति काफी बेहतर हुई है। देश के अब 97 फीसद स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय हैं।

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