शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल न जाने वाले बच्चों पर नजर रखने, दोबारा नामांकन करने के लिए ऑनलाइन मॉड्यूल लॉन्च किया

रमेश पोखरियाल निशंक बोले भारत के प्रत्येक विद्यार्थी का ख्याल रखना हमारी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। इसी के अनुसार स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने प्रत्येक राज्य या केंद्रशासित प्रदेश द्वारा चिह्नित स्कूल न जाने वाले बच्चों की जानकारी संग्रहित करने के लिए एक ऑनलाइन मॉड्यूल विकसित किया है

By Nitin AroraEdited By: Publish:Fri, 11 Jun 2021 08:55 PM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 08:55 PM (IST)
शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल न जाने वाले बच्चों पर नजर रखने, दोबारा नामांकन करने के लिए ऑनलाइन मॉड्यूल लॉन्च किया
शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल न जाने वाले बच्चों पर नजर रखने, दोबारा नामांकन करने के लिए ऑनलाइन मॉड्यूल लॉन्च किया

नई दिल्ली, पीटीआइ। शिक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को स्कूल से बाहर के बच्चों के डेटा को संकलित करने के लिए एक ऑनलाइन मॉड्यूल लॉन्च किया, जो 6-14 आयु वर्ग के बच्चों के लिए उम्र के अनुकूल स्कूलों में प्रवेश को सुगम बनाएगा। मंत्रालय ने यह भी कहा कि 16-18 आयु वर्ग के बच्चे जो स्कूल नहीं जाते हैं, उनके लिए 2021-22 सत्र में पहली बार वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी ताकि उन्हें ओपन या डिस्टेंस लर्निंग मोड के माध्यम से अपनी शिक्षा जारी रखने में सहायता मिल सके।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने ट्वीट किया, 'भारत के प्रत्येक विद्यार्थी का ख्याल रखना हमारी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। इसी के अनुसार, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने प्रत्येक राज्य या केंद्रशासित प्रदेश द्वारा चिह्नित स्कूल न जाने वाले बच्चों की जानकारी संग्रहित करने के लिए एक ऑनलाइन मॉड्यूल विकसित किया है और इन आंकड़ों को विशेष प्रशिक्षण केंद्रों के साथ PRABANDH पोर्टल पर व्यवस्थित किया जाएगा।'

उन्होंने कहा कि स्कूल न जाने वाले बच्चों और STCs की सूचना प्रखंड स्तर पर प्रखंड संसाधन समन्वयक के तहत अपलोड की जानी चाहिए। पोर्टल पर तिमाही प्रगति रिपोर्ट और उपयोगकर्ता पुस्तिका साझा की गई है।

मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा सचिवों को लिखे पत्र में स्कूल से बाहर के बच्चों, विशेष प्रशिक्षण केंद्रों (एसटीसी) और उनकी प्रगति के बारे में जानकारी मांगी है, जैसा कि ब्लॉक संसाधन केंद्र (बीआरसी) द्वारा अपलोड किया गया है। जिला मजिस्ट्रेट या डीएम द्वारा अधिकृत एक उपयुक्त अधिकारी द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए।

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