हर वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को भी मिले आरक्षण का लाभ: आंध्र प्रदेश सरकार
देश में आरक्षण को लेकर एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है। केंद्र ने ओबीसी की पहचान करने और सूची बनाने के राज्यों के पहले के अधिकारों को बहाल करने के लिए अब संसद का रास्ता चुना है जिसकी तैयारी शुरू हो गई है।
हैदराबाद, एएनआइ। देश में आरक्षण को लेकर एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है। केंद्र ने ओबीसी की पहचान करने और सूची बनाने के राज्यों के पहले के अधिकारों को बहाल करने के लिए अब संसद का रास्ता चुना है, जिसकी तैयारी शुरू हो गई है। उधर, आंध्र प्रदेश सरकार ने कहा है कि ऐसे व्यक्ति जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की मौजूदा योजना के अंतर्गत नहीं आते हैं और जिनकी सकल वार्षिक पारिवारिक आय 8 लाख रुपये से कम है, उन्हें आरक्षण के लाभ के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के रूप में पहचाना जाना चाहिए। यानि ऐसे लोगों के लिए भी आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है।
बता दें कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण पर राज्यों को मिले अधिकारों में फिलहाल कोई कटौती नहीं होगी। केंद्र ने ओबीसी की पहचान करने और सूची बनाने के राज्यों के पहले के अधिकारों को बहाल करने के लिए अब संसद का रास्ता चुना है। इसकी तैयारी शुरू हो गई है। संसद के मानसून सत्र में इस संबंध में विधेयक लाने की तैयारी है।
सूत्रों की मानें तो सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने के बाद नए मंत्री वीरेंद्र कुमार ने भी अधिकारियों के साथ इस पर लंबी मंत्रणा की है। साथ ही अधिकारियों को इस पर आगे बढ़ने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले थावरचंद गहलोत ने भी राज्यों के अधिकार बहाली की वकालत की थी।खासबात यह है कि केंद्र सरकार ने मराठा आरक्षण पर सुनवाई के दौरान दिए गए इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दाखिल की थी। इसमें राज्यों के ओबीसी की पहचान करने और सूची बनाने के अधिकारों को बहाल करने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। सतर्क है केंद्र सरकारकेंद्र इस मामले को लेकर इसलिए भी सतर्क है, क्योंकि ज्यादातर राज्यों ने राज्य सूची के आधार पर अपने यहां अलग -अलग जातियों को पिछड़े वर्ग में जगह दे रखी है। इसका लाभ भी वे राज्य की सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों के दाखिले में ले रहे हैं। अब तक ओबीसी आरक्षण पर केंद्र और राज्यों की अलग-अलग सूची है। ओबीसी की केंद्रीय सूची में मौजूदा समय में करीब 2,600 जातियां शामिल है।